Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : भारत, बांग्लादेश के साथ ‘गंगा जल संधि’ संशोधन करने पर कर रहा विचार ?

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Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : पिछले कुछ वर्षों में भारत-बांग्लादेश के मध्य विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक, रणनीतिक व कूटनीतिक अस्थिरता देखने को मिली है जिसके परिणामस्वरूप भारत, बांग्लादेश के साथ ‘गंगा जल संधि’में संशोधन करने पर कर रहा विचारहै। यह संशोधन और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि भारत ने हाल ही में कुछ समय पूर्व पाकिस्तान के साथ ‘सिंधु जल संधि’ को स्थगित कर दिया है।

इस बार की नई गंगा जल संधि में भारत अब अपनी विकास संबंधी नई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के साथ एक नया समझौता करना चाहता है। जो परिवर्तित होते परिपेक्ष्य के अनुकूल हो।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : क्या है पूरा मामला..?

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend?
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वर्ष 1996 में शेख हसीना के कार्यकाल में हुई ‘गंगा जल संधि’ वर्ष 2026 में समाप्त होने वाली है। इस संधि को आपसी सहमति से फिर से लागू किया जाना है। लेकिन, अब भारत (Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend?) एक नई संधि चाहता है, जो उसकी वर्तमान विकास आवश्यकताओं को पूरा करे।

भारत, बांग्लादेश के साथ ‘गंगा जल संधि’ में संशोधन को लेकर गंभीर है। आपको बता दें कि 22 अप्रैल, 2025 पाकिस्तानी आतंकियों के द्वारा धर्म पुंछ के 27 हिन्दू नागरिकों की निर्मम हत्या कर दी गई थी जिसके बाद से ही भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के साथ ‘सिंधु जल संधि’ को स्थगित कर दिया था।

इस घटना के बाद भारत की ओर से ‘गंगा जल संधि’ में भी संशोधन (Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend?) पर मंथन किया जा रहा है। चर्चाओं के अनुसार भारत अब अपनी भविष्य की विकास संबंधी नई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के साथ इस संधि पर एक नया समझौता चाहता है।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : क्या है ‘गंगा जल संधि’..?

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend?
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भारत और बांग्लादेश के बीच वर्ष 1996 में गंगा जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसका उद्देश्य- गंगा नदी के जल का बंटवारा करना था। यह संधि 1975 में फरक्का बैराज के निर्माण के बाद उत्पन्न हुए विवाद को सुलझाने  के लिए थी, जिसका उद्देश्य कोलकाता बंदरगाह के लिए पानी का प्रवाह व्यवस्थित बनाए रखना था।

संधि 30 साल के लिए थी और 2026 में समाप्त होने वाली है, जिसे आपसी सहमति से नवीनीकृत किया जा सकता है। फरक्का बैराज, भारत में गंगा नदी पर बना है और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : फरक्का बैराज का इतिहास..?

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फरक्का बांध, भारत के पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के ऊपर बना बांध है। इसका निर्माण वर्ष 1975 में हुआ। 1975 में इसे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में गंगा नदी पर बनाया गया। इसे हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था और इसकी लम्बाई 2.62 किलोमीटर है।

दरअसल 19वीं सदी में सर आर्थर काटन जो एक ब्रिटिश जनरल और सिंचाई इंजीनियर थे, उन्होंने पहली बार ऐसा कोई बांध बनाने का सुझाव दिया था।

देश स्वतंत्र होने के बाद ऐतिहासिक कोलकाता बंदरगाह गाद की समस्या के चलते लगातार बदहाली की ओर बढ़ता रहा। एक दौर ऐसा भी आया जब पानी की गहराई कम हो जाने की वजह से बड़े जहाज कोलकाता तक नहीं पहुँच पाते थे। उसी दौरान सर आर्थर काटन के सझावों पर नए सिरे से विचार करते हुए फरक्का में बांध बनाने का निर्णय किया गया।

इसका निर्माण क्यों और किस उद्देश्य के लिए किया गया ?-

दरअसल फरक्का बांध के निर्माण का एक मात्र उद्देश्य गंगा से 40 हजार क्यूसेक पानी को हुगली में भेजना था, जिससे हुगली में कोलकाता से फरक्का के बीच बड़े जहाज चल सकें।

इस बांध में 109 गेट बनाए गए थे। ग्रीष्म ऋतु में हुगली नदी के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये गंगा नदी के पानी के एक बड़े हिस्से को फरक्का बांध के द्वारा हुगली नदी में मोड दिया जाता है।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : बांग्लादेश की प्रतिक्रिया व विरोध के कारण..?

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बांग्लादेश ने इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि गंगा नदी, भारत से बांग्लादेश की ओर बहती है, जहाँ इसकी मुख्य उपनदी पद्मा नदी के नाम से गंगा को जाना जाता है। यह नदी अंततः मेघना नदी के संगम के बाद बंगाल की खाड़ी में समाप्त होती है। ऐसे में गंगा नदी मुख्य रूप से बांग्लादेश की नदी है और इस पर बांग्लादेश का नियंत्रण होना चाहिए।

भारत के द्वारा फरक्का बैराज स्थापित करने का कारण भागीरथी हुगली नदी की सिल्ट को बाहर निकालना था जिससे कोलकाता पोर्ट का संचालन सुचारू रूप से हो सके। बांग्लादेश ने कहा कि गंगा एक अंतरराष्ट्रीय नदी है, इसलिए इसका पानी आपसी सहमति के अनुसार नियंत्रित किया जाना चाहिए।

बांग्लादेश द्वारा विरोध के कारण-

  • नदी के प्रवाह में कमी: बैराज बनने के बाद गंगा के जल का बड़ा हिस्सा भारत में ही उपयोग हो गया, जिससे बांग्लादेश (तब के पूर्वी पाकिस्तान) में गंगा का प्रवाह कम हो गया।
  • खेतों को पानी की कमी: बांग्लादेश के दक्षिणी-पश्चिमी इलाके की खेती काफी हद तक गंगा पर निर्भर थी। जल प्रवाह कम होने से फसलें प्रभावित हुई।
  • जलवायु और पारिस्थितिकी पर असर: नदी में पानी की कमी से वहाँ की मछलियों की प्रजातियाँ, दलदली क्षेत्र (wetlands) और जल-जीवों का जीवन प्रभावित हुआ।
  • पीने के पानी की समस्या: कई ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति पर भी असर पड़ा।
  • खारे पानी का प्रवेश: पानी की कमी के कारण समुद्री खारा पानी गंगा डेल्टा में प्रवेश करने लगा, जिससे मिट्टी की उर्वरता और पीने के पानी की गुणवत्ता प्रभावित हुई।
  • राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव: बांग्लादेश ने इसे पारस्परिक समझौते का उल्लघन माना और अन्तर्राष्ट्रिय मचों पर भारत की आलोचना की।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : इंदिरा-मुजीब संयुक्त घोषणा और संयुक्त नदी आयोग के गठन (Indira-Mujib Joint Declaration and Formation of Joint River Commission)

वर्ष 1971 में, बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त की। बहुत सकारात्मक और मित्रवत संबंधों के कारण, उम्मीद थी कि गंगा के जल साझा करने के मतभेदों का आपसी लाभदायक समाधान होगा।

19 मार्च, 1972 को, भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान ने भारत-बांग्लादेश मित्रता, सहयोग और शांति संधि पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणा के आधार पर, 1972 में एक संयुक्त नदी आयोग (JRC) का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य समान हितों के लिए, जिसमें जल संसाधनों को साझा करना, सिंचाई, और बाढ़ और चक्रवातों का नियंत्रण शामिल है।

JRC ने जून 1972 से काम करना शुरू किया, हालांकि भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग (Joint Rivers Commission) का विधान 24 नवंबर 1972 को ढाका में हस्ताक्षरित हुआ था। भारत के लिए एक समकक्ष JRC है और यह नई दिल्ली, भारत में स्थित है।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : क्या थे 1977 के अस्थायी समझौते और 1982 और 1985 के सहमति पत्र (Temporary Agreements of 1977 and MOUs of 1982 & 1985)..

वर्ष 1977 में, भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध सुधरते हुए देखने को मिले। जिस कारण भारतीय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और बांग्लादेशी राष्ट्रपति जियाउर रहमान ने वाटर-शेरिंग (water-sharing) के 5 वर्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए, लेकिन यह 1982 में नवीनीकरण के बिना समाप्त हो गई।

यह समझौता एक आंशिक समाधान प्रदान करता है, जिसमें हर साल जनवरी से मई तक के पाँच महीनों के लिए जल के प्रवाह में आने वाली कमी को साझा करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

भारत का हिस्सा 1-10 जनवरी के बीच 40.7 प्रतिशत और 21-30 अप्रैल के बीच के सबसे सूखे समय में 37 प्रतिशत था और उसी अवधि में बांग्लादेश का हिस्सा क्रमशः 50.4 से 52.8 प्रतिशत था। बांग्लादेश को सूखे मौसम के प्रत्येक 10-दिन के दौर में न्यूनतम जल मात्रा की गारंटी दी गई, फिर चाहे फरक्का में जल प्रवाह कितना ही क्यों न हो।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : 1987 से 1996 तक कई असफल प्रयास…

1977 में हस्ताक्षरित समझौता 30 मई, 1982 को समाप्त हो गया। इस अवधि के दौरान, समझौते को नवीकरण करने या जल-वितरण और वृद्धि प्रस्तावों पर सहमति पाने के लिए प्रयास किए गए (1982 और 1985 के MoUs), परंतु प्रगति सीमित रही।

1985 के MoUs के समाप्त होने के बाद, भारत ने 1988 से 1991 तक फरक्का से पानी निकालना जारी रखा, ताकि कोलकाता बंदरगाह को बचाया जा सके। इस पर फिर से बांग्लादेश की ओर से आलोचना की गई और बांग्लादेश ने समस्या का एक स्थायी समाधान मांगा।

1990 में दोनों देशों ने जल समस्या के समाधान के लिए JRC को पुनः सक्रिय करने पर सहमति व्यक्त की। लेकिन गंगा का जल साझा करने पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, बेगम खालिदा जिया और उनके भारतीय समकक्ष नरसिंह राव ने 27 मई 1992 को नई दिल्ली में मुलाकात की और गंगा जल संसाधनों को साझा करने के लिए एक स्थायी और व्यापक योजना बनाने पर सहमति व्यक्त की। परंतु इस बैठक का कोई निर्णायक परिणाम नहीं निकला।

जिसके बाद बांग्लादेश ने इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय बनाने के लिए यू.एन. जनरल असेंबली (UNGA), कॉमनवेल्थ प्रमुखों की बैठक (CHOGM) और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) में लॉबिंग की, लेकिन इसका भी उसे कोई लाभ नहीं मिला।

1989 और 1996 के बीच, कोई समझौता नहीं हुआ और न ही कोई नया जल-साझाकरण सौदा हुआ।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : 1996 की संधि..

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बांग्लादेश में सरकार के बदलाव के साथ स्थिति में बदलाव आया। नए प्रशासन ने भारत के साथ एक नए संधि के लिए बातचीत शुरू की। भारतीय प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद ने 12 दिसंबर, 1996 को नई दिल्ली में एक व्यापक द्विपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए।

इस संधि ने 30 वर्षों के वाटर-शेरिंग समझौते की स्थापना की और बांग्लादेश के कम स्तर के नदी तट पर अधिकारों को स्वीकार किया।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend?
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संधि के अनुच्छेद 2 में उल्लेख है कि “यदि किसी भी 10-दिवसीय अवधि में फरक्का में जल प्रवाह 50,000 क्यूसेक से कम हो जाता है, तो दोनों सरकारें समानता, निष्पक्षता और किसी भी पक्ष को कोई नुकसान न होने के सिद्धांतों के अनुसार आपातकालीन आधार पर समायोजन करने के लिए तत्काल परामर्श में प्रवेश करेंगी”। इसमें शर्त यह है कि “भारत और बांग्लादेश को 11 मार्च से 10 मई की अवधि के दौरान तीन 10-दिवसीय अवधियों में 35,000 क्यूसेक पानी की गारंटी दी जाएगी”।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : कौन करता है प्रवाह की निगरानी?

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गंगा नदी में जल प्रवाह की निगरानी के लिए भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग का गठन किया गया। इस आयोग ने एक संयुक्त समिति गठित की जिसमें दोनों पक्षों के तकनीकी अधिकारियों को शामिल किया गया। ये कमेटी गंगा जल स्तर की निगरानी, डेटा का आदान-प्रदान और बाकी काम करती है।

संयुक्त समिति आम तौर पर साल में तीन बार मिलती है। अगर बीच में कोई समस्या आ गई हो, तो उसका हल निकालने के लिए आपात बैठक भी कर सकती है। इसमें तीसरे पक्ष की भागीदारी के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : संधि को लेकर पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच विवाद के मुख्य कारण…

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गंगा जल संधि को लेकर भारत की केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के बीच वर्षों से मतभेद और टकराव रहे हैं।

  1. पश्चिम बंगाल को जल की कमी का डर।
  2. बिना राज्य की सहमति के निर्णय।
  3. पर्यावरण और पारिस्थितिकी असर।
  4. हुगली नदी का जल स्तर गिरना।
  5. पुनः समीक्षा कि मांग।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हाल की घटनाओं के खिलाफ़ रुख इस तथ्य से उपजता है कि उन्हें भारत और बांग्लादेश के बीच वार्ताओं से बाहर रखा गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र में, बनर्जी ने गंगा जल संधि और तीस्ता नदी की चर्चा के संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार के साथ परामर्श की कमी पर अपना असंतोष व्यक्त किया।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय सरकार द्वारा बिना राज्य सरकार को शामिल किए गए किसी भी निर्णय को एकतरफा स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग जल साझा करने के समझौतों के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव का सबसे बड़ा भार उठाएंगे। फरक्का बैराज के महत्व को उजागर करते हुए, मुख्यमंत्री बनर्जी ने बताया कि फरक्का में मोड़ने वाला पानी कोलकाता बंदरगाह की नौवहन क्षमता बनाए रखने और राज्य के निवासियों के जीवन यापन का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण है।

Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend? : भारत का क्या हो सकता है रुख..?

विशेषज्ञों का मानना है की इस बार की गंगा जल संधि (Will Ganges Treaty With Bangladesh Be Amend?) की अवधि पहले की तुलना में कम लंबी होगी और भारत श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के लिए कम पड़ रही जल आपूर्ति को भरने के लिए इस संधि से अधिक जल की मांग को रखेगा।

MEA के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा, “भारत और बांग्लादेश 54 नदियों को साझा करते हैं, जिनमें गंगा भी शामिल है। इस सहयोग के सभी प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए, दोनों देशों के पास एक द्विपक्षीय तंत्र है – संयुक्त नदी आयोग (JRC)। हम अपने आंतरिक चर्चाओं के दौरान संबंधित राज्य सरकारों और उनके प्रतिनिधियों के साथ परामर्श भी आयोजित करते हैं।”

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