Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : क्या है उत्तराखंड में लगातार बादल फटने की वजह ??

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Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : हाल ही में आई उत्तरकाशी के धराली में भीषण आपदा ने प्रकृति का रौद्र रूप दिखाने का प्रयास किया है जिसमें व्यापक स्तर पर तबाही देखने को मिली और भारी जान-मान की हानि भी दर्ज की जा चुकी है। हालांकि जिला प्रशासन, भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम राहत बचाव कार्यों में जुटी हुई है लेकिन मीडिया रेपोर्ट्स के अनुसार इस प्राकृतिक आपदा में 100 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं और 4 लोग की मौत हुई है।

यह प्राकृतिक आपदा बादल फटने के रूप में सामने आई है जिससे बड़ी त्रासदी देखने को मिली है। कई विश्लेषक अब इसके पीछे की वजह तलाश रहे हैं जिसमें प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मानवीय कारणों को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

आइए इस लेख में चर्चा करते हैं कारणों और उनके समाधान की।

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : जानें पूरी खबर…

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?
Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?

मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में धराली गांव में बादल फटने से बड़ी त्रासदी आई है। धराली गाव की खीरगंगा में मंगलवार को अचानक बादल फट गया। बताया जा रहा है कि धराली गांव (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) में पिछले दो दिनों से लगातार तेज बारिश हो रही थी। इसके चलते एक नाला उफान पर आ गया। पहाड़ों से होते हुए नाले का पानी मंगलवार दोपहर 01.45 बजे अचानक धराली गांव में सैलाब की तरह आया।

इस सैलाब की तीव्रता और भयानक रूप का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मात्र 34 सेकेंड में पूरे गांव में पानी भर गया और लोगों के घर, दुकान, होटल और रेस्कटोरेंट पूरी तरह पानी में डूब गए और देखते ही देखते पूरा इलाका समतल हो गया।

धराली में कई बड़े होटल भी हैं और होमस्टे की भी संख्या अच्छी-खासी है। हालांकि बाढ़ के चलते कई होटल पूरी तरह से बह गए और कुछ मलबे के नीचे दब गए। चश्मदीदों के अनुसार धराली का पूरा बाजार ही खत्म हो गया है।

धराली गांव(उत्तरकाशी) अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ पर काफी खूबसूरत वादियाँ भी हैं, जहाँ पर स्थानीय लोग पर्यटन का सहारा ले कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते व पर्यटक भी अच्छी संख्या में यहाँ जा कर इस मनमोहक दृश्य का आनंद लेते।

धराली गांव की गंगोत्री धाम से दूरी-

धराली गांव उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) में स्थित एक छोटा पहाड़ी गांव है जो कि गंगोत्री धाम से 18 किमी की दूरी पर है। धराली गांव गंगोत्री यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है। गंगोत्री धाम से पहले यह अंतिम बड़ा गांव है, जहाँ से लोग आगे की कठिन चढ़ाई के लिए रुकते हैं। तीर्थ यात्रियों को यहाँ रहने और खाने की सुविधा मिलती है।

देहरादून से 218 किमी और गंगोत्री धाम से 18 किमी दूर धराली गांव स्थित है। अब तक यह सामने नहीं आया है कि आपदा के वक्त यहाँ कितने लोग मौजूद थे। प्रशासन का कहना है कि नुकसान का आकलन किया जा रहा है।

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : क्या धराली में पहली बार फटा बादल??

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?
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हिमालय की दरार पर बसा है धराली, 10 साल में तीसरी बार तबाह हुआ-

धराली गांव में 1864, 2013 और 2014 में भी पहाड़ पर बादल फटे। इससे ‘खीर नाले’ ने तबाही मचाई। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने तीनों ही आपदाओं के बाद धराली गांव को कहीं और बसाने की सलाह राज्य सरकार को दी। यह भी बताया तक आपदा के लिहाज से धराली टाइम बम पर बैठा है। लेकिन, इसे शिफ्ट नहीं किया गया।

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती बताते हैं कि धराली ट्रांस हिमालय (4 हजार मी. से ऊपर) में मौजूद मेन सेंट्रल थ्रस्ट में है। यह एक दरार होती है, जो मुख्य हिमालय को ट्रांस हिमालय से जोड़ती है। ये भूकंप (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) का अति संवेदनशील जोन भी है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है, वो 6 हजार मी. ऊचा है, जब भी वहाँ से सैलाब आता है, धराली को तहस-नहस कर देता है।

करीब 6 महीने पहले पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिर रहा था। लेकिन ये अटक गया था। संभवत: इस बार वही हिस्सा टूटकर नीचे आया है।

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : आखिर क्यों, कब और कैसे फटते हैं बादल??

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?
Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?

बादल का फटना या क्लाउडबस्र्ट का मतलब, बहुत कम समय में एक सीमित दायरे में अचानक बहुत भारी बारिश होना है। हालांकि, बादल फटने (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) की सभी घटनाओं के लिए कोई एक परिभाषा नहीं है। फिर भी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, अगर किसी एक क्षेत्र में 20-30 वर्ग किमी दायरे में एक घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश होती है तो उसे बादल का फटना कहा जाता है।

आम बोलचाल की भाषा में कहें तो किसी एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश होना बादल फटना कहा जाता है।

कब होती है बादल फटने की घटना ?-

तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने पर पानी की बूदें आपस में मिल जाती हैं इससे बूदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है। इससे एक सीमित क्षेत्र में अचानक तेज बारिश होने लगती है. इसे ही बादल फटना कहा जाता है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) क्षेत्रीय जल चक्र में बदलाव भी बादल फटने का बड़ा कारण है। इसी लिए यहां बादल पानी के रूप में परिवर्तित होकर तेजी से बरसना शुरू कर देते हैं।

दूसरे शब्‍दों में समझें तो मानसून की गर्म हवाओं का ठंडी हवाओं के संपर्क में आने पर बड़े आकार के बादल बनते हैं। हिमाचल और उत्‍तराखंड में ऐसा पर्वतीय कारकों के कारण भी होता है इसलिए हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं ज्‍यादा हो रही हैं।

पर्वतीय उत्थान और बादल फटना (Orographic Lifting And Cloudburst)-

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?
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इस घटना को निम्न बिंदुओं में समझने का प्रयास करते हैं-

  1. नमी वाली हवा (Moist air) किसीपहाड़ या पहाड़ी का सामना करती है और उठने के लिए मजबूर हो जाती है।
  2. ऊपर उठती हवा (Rising air cools) ठंडी होकर संघनित हो जाती है; बादल बनते हैं।
  3. हवा का तेज़ ऊपर की ओर प्रवाह (Violent upward) संघनित हो रही बारिश की बूंदों को ज़मीन पर गिरने से रोकता है।
  4. ऊपर की ओर हवा की कमी (Lack of upward air) नमी के क्षय को रोकती है।
  5. सारा संग्रहित पानी एक ही बार में गिर जाता है।
  6. खड़ी ढलान के कारण अचानक बाढ़ आती है।

किस ऊंचाई पर फटते हैं बादल ?-

विज्ञान के अनुसार समझें तो बादल तब फटता है, जब नमी के साथ चलने वाली हवा एक पहाड़ी इलाके तक जाती है, जिससे बादलों का ऊर्ध्वाधर स्तंभ (vertical pillar) बनता है। इसे क्यूमुलोनिम्बस (Cumulonimbus Cloud) के बादलों के तौर पर भी पहचाना जाता है।

इस तरह के बादल भारी बारिश, गड़गड़ाहट और बिजली गिरने का कारण भी बनते हैं। बादलों की इस ऊपर की ओर गति को ‘ऑरोग्राफिक लिफ्ट’ भी कहा जाता है। इन अस्थिर बादलों के कारण एक छोटे से क्षेत्र में भारी बारिश होती है। इसके बाद ये बादल पहाड़ियों के बीच मौजूद दरारों और घाटियों में बंद हो जाते हैं। बादल फटने के लिए आवश्यक ऊर्जा वायु की ऊर्ध्व गति से आती है। क्लाउडबर्स्ट ज्यादातर समुद्र तल से 1,000 मीटर से लेकर 2,500 मीटर की ऊंचाई तक होता है।

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : बादल अधिकतर उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों के आस-पास क्यों फटते हैं?

बादल आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में फटता है। जैसा हमने पहले चर्चा की, हिमालय से टकराकर मानसूनी बादल धीरे-धीरे भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं और बादल फटने का माहौल बन जाता है। यही वजह है कि अधिकतर बादल उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के हिमालयी पहाड़ों के इलाके में (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) फटते हैं।

हालांकि बादल मैदानी इलाकों में भी फट सकता है, लेकिन आम तौर पर पहाड़ी इलाकों में इसका खतरा ज्यादा होता है।

12 साल पहले आई थी केदारनाथ में त्रासदी-

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?
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उत्तरकाशी में आई जलत्रासदी ने एक बार फिर केदारनाथ की त्रासदी की याद दिला दी है। 2013 में केदारनाथ में एक खतरनाक बाढ़ और भूस्कखलन हुआ था। इसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी। 16 और 17 जून को हुई इस त्रासदी में केदारनाथ मंदिर के आस-पास का इलाका तबाह हो गया था और कथित तौर पर 5000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। बादल फटने और भारी बारिश के कारण चोराबड़ी झील से पानी आया जिससे ‘मंदाकिनी नदीं’ में बाढ़ आ गई।

केदारनाथ का 80 प्रतिशत क्षेत्र हो गया था तबाह-

इस त्रासदी में केदारनाथ मंदिर को छोड़कर धाम का 80 प्रतिशत हिस्सा तबाह हो गया था। कई गांव और कस्बे भी नष्ट हो गए थे। बाढ़ और भूस्कखलन के कारण हजारों लोग बह गए थे और कई शव बरामद नहीं हो सके थे।

इस आपदा (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) के बाद, केदारनाथ मंदिर को फिर से बनाया गया और आसपास के क्षेत्र को भी पुनर्निर्मित किया गया है। हालांकि, 2013 की यह त्रासदी केदारनाथ के इतिहास में एक काला अध्याय बन गई।

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : पहाड़ों पर प्राकृतिक आपदाओं के कारण ??

प्राकृतिक आपदाओं के पीछे के कारणों में प्राकृतिक और मानवीय दोनों ही कारण मानें जाते हैं। 1850 के दशक से आई औद्योगिक क्रांति के बाद से मानवीय कारण अधिक प्रभावी हुए हैं।

प्राकृतिक कारण:

  1. हिमालय के पहाड़ नए और कमजोर हैं-
  • हिमालय दुनिया की सबसे नई पर्वत शृंखला मानी जाती है। यह पृथ्वी की ऊपरी परत यानी क्रस्ट की टे्क्टोनिक प्लेटों के टकराव से बना है। इसलिए हिमालय के पहाड़ों की चट्टानें भुरभुरी और कमजोर मिट्टी की बनी हैं।
  • बादल फटने पर इन पहाड़ों से मिट्टी पर हाइड्रोस्टेटिक यानी पानी का प्रेशर बढ़ता है, मिट्टी होने के चलते इसकी जमीन पर पकड़ नहीं होती और भारी मात्रा में मिट्टी मलबे के रूप में पानी के साथ निचले इलाकों में पहुँचती है।

2. बादलों का फटना-

पानी के साथ भारी मात्रा में पहाड़ों का मलबा ऊंचे इलाकों से नीचे की तरफ आना। दरअसल, बादल फटने पर भारी मात्रा में पानी पहाड़ों की चट्टानों से टकराता है। इससे पहाड़ों में लैंडस्लाइड यानी भूस्खलन होता है और पानी के साथ भारी मात्रा में पहाड़ों का मलबा भी नीचे आता है, जो रिहायशी इलाकों और मकानों पर ज्यादा असर करता है। पूरे के पूरे गांव इस मलबे में दब जाते हैं। उत्तराखंड के हिमालयी इलाकों में बादल फटने पर लैंडस्लाइड का खतरा सबसे ज्यादा है।

3. लैंडस्लाइड यानी भूस्खलन-

जंगलों के पर्याप्त मात्रा में न होने के कारण मिट्टी का कटाव आसानी से होता है जो अधिक वर्षा व भूकंप जैसी स्थितियों में भूस्खलन जैसी आपदा को और अधिक प्रबल बनाता है।

4. भूकंप–

पृथ्वी की ऊपरी परत यानी क्रस्ट की टे्क्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने, एक-दूसरे से दूर जाने या एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाने के कारण भूकंप जैसी स्थिति प्राकृतिक आपदा का कारण बनती है।

मानवीय कारण:

  1. जंगलों की कटाई के चलते पहाड़ों का कमजोर होना:

पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधे रखने का काम करती हैं। हिमालय के पहाड़ी इलाकों में पेड़ों की कटाई के चलते मिट्टी की चट्टानें ढीली पड़ गई हैं। ऐसे में तेज पानी का फ्लो आसानी से इस मिट्टी को बहा ले जाता है।

2. ग्लोबल वार्मिंग-

ग्लोबल वार्मिंग हमारे मानसून को अत्यधिक प्रभावित कर रही है, जिसके पीछे ज़मीनी स्तर पर, हमारी अपनी पहाड़ों को काटने, अवैज्ञानिक, असंवहनीय और लापरवाह निर्माण की नीतियाँ और तथाकथित ‘विकास’ के लिए नदियों का गला घोंटने की नीतियाँ जैसे कारक शामिल हैं। जो हमारे प्राकृतिक बचावों को नष्ट कर रही हैं।

3. जलवायु परिवर्तन-

अनियंत्रित एवं अव्यवस्थित संसाधनों का दोहन जैसे जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक उपयोग से निरंतर तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है जो मानसून परिवर्तन के चलते अनियंत्रित वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदा को पहाड़ों पर बढ़ावा दे रहा है।

4. प्रदूषण-

प्राकृतिक सौन्दर्य एवं शांति के लिए पर्यटक पहाड़ों पर जाते हैं जिनसे जाने-अनजाने रूप में वायु, जल और मृदा आदि प्रदूषण बढ़ता है जो प्रकृति के प्रतिकूल समस्याओं को जन्म देता है।

Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand? : पहाड़ों पर प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के प्रयास…

प्राकृतिक आपदाओं को पहाड़ी क्षेत्रों में रोकने के लिए समस्या का समाधान उचित नियमों और नियंत्रित संसाधनों के उपयोग आदि उपायों द्वारा किया जाना चाहिए।

  1. सतही जल निकासी-

सतही जल को ढलान से दूर ले जाने हेतु सतही जल निकासी व्यवस्था स्थापित की जा सकती है जिससे न केवल भूस्खलन की संभावना में कमी होगी अपितु मिट्टी का कटाव भी बचेगा।

2. नियंत्रित भूमि उपयोग-

अधिकतम प्रभावशीलता के लिए, भूस्खलन जोखिम और खतरे के आकलन को बुनियादी ढांचे की व्यापक योजना में शामिल किया जाना चाहिए जिससे भूमि का नियंत्रित उपयोग हो सकेगा।

3. भूस्खलन-विशिष्ट नियम-

समावेशी विकास कार्यक्रम का व्यवस्थित रूप से क्रियान्वयन कर भूस्खलन-विशिष्ट नियमों को स्थापित करने की आवश्यकता है।

4. वनरोपण-

सघन वन एवं झाड़ियाँ मिट्टी के कणों को बांधने में मदद करती हैं जिससे मृदा अपरदन की समस्या में भारी कमी आती है।

5. तकनीक का उपयोग-

आपदा निवारण रणनीति को और अधिक बाल देने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग पारंपरिक तकनीक के साथ किया जाना चाहिए। जिससे भूस्खलन निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली को विकसित किया जा सके। इसमें माइक्रो-इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम (MEMS) आधारित सेंसर प्रौद्योगिकी, उपग्रह निगरानी तंत्र और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है।

उत्तराखंड की इस आपदा (Why Clouds Burst Frequently in Uttarakhand?) के पीछे राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के साथ-साथ प्रशासनिक ढिलाई भी देखने को मिली है क्योंकि उत्तरकाशी के धराली जैसा ही मंजर 12 साल पहले केदारनाथ में आए जलप्रलय के समय भी था। तब से उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं, लेकिन अभी तक अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित नहीं हो पाया है।  

हालांकि अभी इस आपदा से प्रभावित नागरिकों के बचाव का कार्य स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना और आइटीबीपी की टीमों के माध्यम से जारी है।

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