President vs Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट पर राष्ट्रपति ने उठाए 14 प्रश्न |
महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों से जुड़े 14 प्रश्न पूछे हैं। जहाँ उन्होंने प्रेसीडेंट और गवर्नर के लिए डेड्लाइन तय करने पर उठाए हैं। राष्ट्रपति ने पूँछ कि संविधान में इस तरह की कोई व्यवस्था ही नहीं है, तो सुप्रीम कोर्ट कैसे राष्ट्रपति-राज्यपाल के लिए बिलों पर मंजूरी की समयसीमा तय करने का फैसला दे सकता है। यहाँ कार्यपालिका बनाम न्यायपालिका (President vs Supreme Court) का रूप देखने को मिला।
President vs Supreme Court : विवाद यहाँ से प्रारंभ हुआ।

ये मामला तमिलनाडु गवर्नर और राज्य के मध्य हुए विवाद से उठा था। जहाँ गवर्नर ने राज्य सरकार के बिल रोककर रखे थे। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 8 अप्रैल को कहा कि “राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है” और गवर्नर के अधिकार की सीमा तय कर दी गई। साथ ही साथ sc ने सरकार के 10 अहम बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध भी बताया।
इसी फैसले में न्यायालय ने कहा था कि राज्यपाल की ओर से भेजे गए बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। यह ऑर्डर 11 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया था।
President vs Supreme Court : राष्ट्रपति मुर्मू के एससी से पूँछे गए 14 प्रश्न |

- बिल आने के बाद राज्यपाल के पास कौन-कौन से संवैधानिक विकल्प होते हैं?
- ये जरूरी है कि फैसले के समय गर्वनर मंत्रिपरिषद की सलाह मानें?
- क्या कोर्ट में गर्वनर के फैसले को चैलेंज किया जा सकता है?
- क्या कोर्ट आर्टिकल 361 के जरिए राज्यपाल के फैसलों पर न्यायिक समीक्षा को रोक सकता है?
- संविधान में अगर गर्वनर के लिए समयसीमा तय नहीं है तो क्या कोर्ट ये तय कर सकती है?
- क्या कोर्ट में राष्ट्रपति के फैसलों को चैलेंज कर सकते हैं?
- क्या कोर्ट राष्ट्रपति के फैसलों की समयसीमा फिक्स कर सकता है?
- क्या ये जरूरी है कि राष्ट्रपति कोर्ट की राय ले?
- क्या कोर्ट राष्ट्रपति और गर्वनर के फैसलों पर कानून लागू होने से पहले ही सुनवाई कर सकता है?
- क्या कोर्ट आर्टिकल 142 के जरिए गर्वनर या राष्ट्रपति के कार्यों और आदेशों को बदल सकता है?
- क्या राज्यपाल की अनुमति के बिना राज्य विधानसभा से पारित कानून लागू हो सकता है?
- क्या सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच को संविधान की व्याख्या से जुड़े मामले भेजना जरूरी है?
- क्या सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच को संविधान की व्याख्या से जुड़े मामले भेजना जरूरी है?
- क्या केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुलझा सकता है?
President vs Supreme Court : प्रश्नों का संवैधानिक उपबंध |

राष्ट्रपति के पूछे हुए सवाल, संविधान के आर्टिकल 200, 201,361, 143, 142, 145(3) और 131 से जुड़े हैं।
President vs Supreme Court : आपको बता दें कि इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा कि “अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उन्होंने आगे कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतान्त्रिक शक्तियों के खिलाफ 24×7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है और जज सुपर पार्लियामेंट की तरह कार्य कर रहे हैं।
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