Middle East War Concern For India ? : हाल ही में जिस प्रकार इजराइल-ईरान युद्ध के चलते मध्य-एशिया में अस्थिरता का माहौल है उससे विश्व की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव देखने को मिल रहा है फिर चाहें विश्व की राजनीति का दो पक्षों में बंटना हो या अर्थव्यवस्था में असंतुलन का आना।
इसी घटनाक्रम के चलते भारतीय विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों के मध्य यह विश्लेषण का विषय बना हुआ है कि क्या भारत की मध्य-एशिया युद्ध के कारण टेंशन बढ़ेगी? यदि हाँ तो क्यों और कैसे?
Middle East War Concern For India ? : क्या है पूरा मामला..?

भारत की बढ़ती तात्कालिक टेंशन के पीछे मध्य-एशिया का युद्ध है, जहाँ इज़राइल और ईरान ने अपने लंबे संघर्ष के इतिहास में एक नया अध्याय खोला। जिसमें इज़राइल ने शुक्रवार (13 जून, 2025) की सुबह “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के द्वारा बड़े हमले को प्रारंभ किया, जिससे ईरान की राजधानी तेहरान धमाकों से दहल उठी।
इसके पीछे इज़राइल का कहना था कि “ईरानी परमाणु खतरे को समाप्त करने के लिए यह एक सैन्य अभियान शुरू किया – जो एक अस्तित्वगत खतरा है।“
साथ ही इजरायल ने दावा किया है कि “ईरान का उद्देश्य उसके देश के अस्तित्व को खत्म करना है। इजरायल ने अपनी रक्षा के लिए यह कार्यवाही की है”।
इजरायल ने IAEA की रिपोर्टें का हवाला देते हुए दुनिया को बताया था कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य शांतिपूर्ण नहीं है, बल्कि सैन्य उद्देश्यों के लिए है। जिसके बाद इज़राइल ने कहा कि उसने ईरान के परमाणु और सैन्य सुविधाओं को टारगेट किया जिसमें इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) की सैन्य कार्यवाही के चलते ईरान के शीर्ष सैन्य और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला गया।
जिसके जवाब में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने मगलवार (17 जून, 2025) देर रात अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- “जंग शुरू होती है। हम आतंकी यहूदी शासन को कड़ा जवाब देंगे। उन पर कोई दया नहीं दिखाएंगे।“ इस ऐलान के बाद ईरान ने इजराइल पर 25 मिसाइलें दाग दीं। अब तक दोनों देशों को काफी आर्थिक नुकसान हो चुका है और विश्व के अन्य देश भी इससे अछूते नहीं हैं इसलिए तमाम यूरोपीय देश व भारत (Middle East War Concern For India ?) आदि शांति वार्ता के प्रयासों के माध्यम से दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने में बल दे रहे हैं।
Middle East War Concern For India ? : भारत के लिए क्यों है यह युद्ध चिंता का विषय?
ईरान, दुनिया भर में कच्चे तेल का 3% उत्पादन करता है, लेकिन ईरान और मध्य-एशिया के रास्ते कई चीजें भारत आती हैं। द हिन्दू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण भारत के निर्यात में 40 से 50 फीसदी महँगाई में बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं ET की एक रिपोर्ट में एक्स्पर्ट्स के अनुसार कहा गया है कि इससे भारत के एक्सपोर्ट पर 15 से 20 फीसदी की लागत बढ़ सकती है।
साथ ही होरमुज जलडमरूमध्य, फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़कर भारत के लिए इससे जुड़े अन्य समुद्र के देशों (इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर और यूएई) तक पहुँच के लिए एक मात्र समुद्री मार्ग उपलब्ध कराता है जिससे भारतीय निर्यात इन देशों में सरल व सुगम हो पता है, परंतु इस युद्ध के चलते यह भी बाधित हो सकता है जिससे भारतीय निर्यात (Middle East War Concern For India ?) में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भारत के इजरायल और ईरान के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध हैं इसलिए भारत के लिए व्यापार मार्ग ही एकमात्र परेशानी नहीं है। दोनों से भारत का कुल व्यापार लगभग 5 बिलियन डॉलर (42,000 करोड़ रुपये) है। युद्ध के चलते इस पर भी काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
Middle East War Concern For India ? : भारत के लिए कैसे है यह युद्ध चिंता का विषय?
- कच्चे तेल (Crude Oil) की बढ़ती कीमतों का संकट-
कच्चे तेल की बात करें तो भारत कुल तेल का 85 फीसदी भाग आयात करता है इसलिए भले ही ईरान से भारत का सीधे आयात कम हो परंतु संघर्ष के कारण वैश्विक कीमतों में उछाल से कच्चे तेल के आयात की लागत बढ़ जाएगी।
वैश्विक तेल का लगभग 20 फीसदी भाग होरमुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है। ऐसे में जलडमरूमध्य में किसी भी तरह के अवरोध से शिपमेंट और ज्यादा प्रभावित होगी।
- फ्लाइट की भी बढ़ेगी लागत-
ईरान और इजरायल के हवाई क्षेत्र बंद करने से भारत सहित वैश्विक विमानन उद्योग पर गंभीर असर पड़ सकता है। क्योंकि भारत के उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान है जिसके एयरस्पेस का उपयोग भारत लंबे समय से नहीं कर रहा अर्थात बंद है।
ऐसे में मध्य-एशिया की ओर व यूरोप जाने वाली फ्लाइटों को लंबे मार्ग से यात्रा करनी होगी, जिससे ईंधन की खपत बढ़ेगी और सफर महंगा होगा।
वहीं दिल्ली हवाई अड्डा प्रशासन ने ईरान, इराक और पड़ोसी देशों में हवाई क्षेत्र की बदलती परिस्थितियों के कारण कुछ उड़ानों के कार्यक्रम में बदलाव की बात कही है।
Middle East War Concern For India ? : ईरान और इजरायल से भारत का कितना बड़ा है व्यापार?

- इजरायल से व्यापार-
इजरायल के साथ भारत के व्यापार की बात करें तो भारत ने वित्तीय वर्ष 2025 में इजरायल को 2.1 अरब डॉलर की चीजों का निर्यात किया है, जबकि 1.6 अरब डॉलर की चीजों को मंगवाया है।
इजरायल से क्या-क्या मँगवाता है भारत?-
इज़राइल, भारत का 32वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और एक प्रमुख डिफेंस सप्लायर है। ऐसे में इजरायल, भारत को बड़ी मात्रा में सैन्य हथियार निर्यात करता है।
स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट्स में दिए गए आंकड़ों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि बीते 10 वर्षों में भारत में इजरायल से रडार्स, सर्विलास और लड़ाकू ड्रोन और मिसाइल्स समेत करीब 3 अरब डॉलर के सैन्य हार्डवेयर का आयात किया गया है। इतना ही नहीं भारत, इजरायल से मोती, कीमती पत्थर, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स उपकरण, उर्वरक और रासायनिक उत्पादों का भी आयात करता है।
भारत से क्या-क्या मँगवाता है इजरायल?-
भारत, इजराइल को तराशे हुए हीरे, ज्वेलरी, कज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स और इंजीनियरिंग सामान सप्लाई करता है।
- ईरान से व्यापार-
ईरान के साथ भारत के व्यापार की बात करें तो भारत ने वित्तीय वर्ष 2025 में ईरान को 1.2 अरब डॉलर का निर्यात किया है और 441.9 मिलियन डॉलर की चीजें आयात की हैं।
ऐसे कहा जा सकता है कि दोनों देशों को मिलाकर भारत करीब 5 अरब डॉलर का व्यापार करता है।
ईरान से क्या आयात करता है भारत?-
ईरान से कच्चे तेल के अलावा भारत सूखे मेवे, केमिकल और कांच के बर्तन भारत आते हैं।
भारत क्या निर्यात करता है ईरान को?-
भारत की ओर से ईरान पहुँचनेवाले प्रमुख सामानों की बात करें, तो बासमती चावल का ईरान बड़ा आयातक है। बासमती चावल के अलावा भारत ईरान को चाय, कॉफी और चीनी का भी निर्यात करता है।
Middle East War Concern For India ? : क्या प्रभाव पड़ेगा भारत पर यदि युद्ध जल्द ही समाप्त न हुआ तो?
- भारत के रुपए पर दबाव बदेगा-
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईरान-इजरायल का युद्ध जल्द ही नहीं थमा तो उस स्थिति में डॉलर की डिमांड ज्यादा बढ़ेगी। लोग डॉलर को एक सेफ हेवन असेट के रूप में देखेंगे।
ऐसा होने पर सीधे-सीधे भारत के रुपए पर दबाव बढ़ जाएगा और अगर रुपए पर दबाव बढ़ा तो देश का ट्रेड डेफिसिट और करंट अकाउंट डेफिसिट भी प्रभावित हो जाएगा। अब अगर रुपए की वैल्यू कम होती है तो उस वजह से आयोजित चीजें और ज्यादा महंगी हो जाती हैं।
- कामगारों के लिए संकट-
असल में भारत से करीब एक करोड़ लोग खाड़ी देशों में काम करने के लिए जाते हैं। बात अगर पिछले साल की करें तो इन्हीं कामगारों ने भारत में 45 अरब डॉलर रुपए भेजे थे जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी फायदेमंद रहे।
परंतु अगर युद्ध और भीषण होता है तो उस स्थिति में इन एक करोड़ कामगारों के काम पर संकट आएगा और उसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
Middle East War Concern For India ? : युद्ध की वर्तमान स्थिति…

शुक्रवार (20 जून, 2025) को इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है, जब ईरानी मिसाइल हमलों में इजराइल में कम से कम 240 लोग घायल हुए, जिनमें से 80 सोरॉका मेडिकल सेंटर (Soroka Medical Centre) में थे। इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियर ढांचे पर ताजा हमलों के साथ जवाब दिया, जिसमें अर्क के भारी पानी के रिएक्टर शामिल हैं। रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने सीधे ईरान के सुप्रीम लीडर को धमकी दी, जबकि पीएम नेतन्याहू ने अमेरिका के समर्थन पर विश्वास व्यक्त किया। ईरान ने अस्पताल को निशाना बनाने से इनकार किया और एक सैन्य स्थान को लक्ष्य बनाने का दावा किया। जैसे-जैसे संघर्ष बढ़ता जा रहा है, कूटनीतिक कदम उठाए जा रहे हैं, ईरान के विदेश मंत्री का यूरोपीय नेताओं से मिलना तय है। यूएन के परमाणु निगरानीकर्ता ने जांच पर ईरान के प्रतिबंधों के कारण सीमित निगरानी की चेतावनी दी है।
वहीं ईरान ने मजिद खादेमी (Majid Khademi) को मध्य पूर्व के तनाव के बीच इस्राइली हमले में मोहम्मद काज़ेमी की मौत के बाद इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) की खुफिया यूनिट का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है।
हालांकि अभी यह युद्ध थमता दिखाई प्रतीत नहीं होता।
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