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ToggleBlock Everything Protests Of France : नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। बजट में कटौती के खिलाफ और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इ्तीफे की मांग को लेकर 1 लाख से ज्यादा लोग बुधवार को सड़क पर आ गए।
भारी मात्र में प्रदर्शनकारियों के विरोध का कारण राजनीतिक संकट माना जा रहा है परंतु क्या यही एकमात्र कारण है या इसके पीछे कोई अन्य रणनीतिक साजिस है, इस लेख में हम समझने का प्रयास करेंगे।
हालांकि, गृह मंत्री ब्रूनो रेतेयो ने बताया कि यह एक उग्र प्रदर्शन का रूप के चुका है जिसे लेफ्ट पार्टियों का समर्थन प्राप्त है और सरकार इस पर कंट्रोल पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
Block Everything Protests Of France : जानें पूरी खबर…

बुधवार (10 सितंबर, 2025) को फ़्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते लोगों के बीच सरकार (Block Everything Protests Of France) के ऊपर से विश्वास डगमगा रहा था जिसने एक प्रदर्शन का रूप धारण कर लिया जो “ब्लॉक एव्रीथिंग” यानि ‘सब कुछ रोक दो’ मूमेंट के नाम से 30 से अधिक जगहों पर सक्रिय रूप से संचालित रहा।
इस प्रदर्शन में 1 लाख से ज्यादा लोग शामिल रहे। इस प्रदर्शन को वामपंथी पार्टी फ़्रांस अन्बाउन्ड (LFI) का भी समर्थन प्राप्त था। इसी बीच फ़्रांस के ट्रेड यूनियनों ने भी कहा था कि वे 18 सितंबर को बजट प्रस्ताव के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कहाँ से शुरू हुआ यह आंदोलन?
“ब्लॉक एव्रीथिंग” प्रदर्शन सोशल मीडिया से शुरू हुआ। इसमें 10 सितंबर को देशभर में सब कुछ बंद करने की अपील की गई थी। यह आंदोलन प्रधानमंत्री पद से इ्तीफा दे चुके फ़्रांसवा बायरो की बजट नीतियों के खिलाफ शुरू हुआ था।
इस आंदोलन को सीधे तौर पर कोई लीड नहीं कर रहा है, लेकिन लेफ्ट गुट की अपील के बाद इसकी शुरुआत हुई है। प्रदर्शनकारी बजट योजनाओं और आर्थिक असमानता की शिकायतों के साथ एकजुट हुए हैं। हालांकि, प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए हिंसा से बचने की अपील भी की गई है।
फ़्रांस में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों को वामपंथी राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। वामपंथी पार्टी फ़्रांस अनबाउड के नेता जां-ल्यूक मेलेंशों ने अगस्त में ही इस आंदोलन का समर्थन किया था। अब इससे अन्य वामपंथी दल भी जुड़ गए जिसमें से दो प्रमुख मजदूर संघठनों ने प्रदर्शन में हिस्सा लेने की घोषणा की है। हालांकि ज्यादातर यूनियन 18 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय हड़ताल का इंतजार कर रही हैं।
इस प्रदर्शन के चलते अब तक 300 से अधिक प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हो चुके हैं जबकि कुछ सुरक्षाकर्मी हल्के रूप से घायल हुए।
Block Everything Protests Of France : फ्रांस में हिंसा भड़कने का कारण…?

फ़्रांस के लोग राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मैंक्रों सरकार ने एक भी काम ऐसा नहीं किया, जिससे लोगों का जीवनस्तर बेहतर हो सके। उनका वित्तीय प्रबंध भी काफी खराब रहा है।
फ़्रांस में इस प्रदर्शनों की शुरुआत सोशल मीडिया पर ‘Block Everything’ के आह्वान से हुई। इसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से पेरिस में हिंसा भड़क गई।
प्रदर्शन की 4 प्रमुख वजह…
- राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियाँ :जनता के एक बड़े वर्ग को लगता है कि मैक्रों की नीतियाँ आम लोगों के हितों के खिलाफ हैं और अमीर वर्ग को फायदा पहुँचाती हैं।
- बजट में कटौती : सरकार ने खर्चों में कटौती और कल्याणकारी योजनाओं में कमी कर आर्थिक सुधार लागू किए हैं। इससे आम जनता खासकर मध्यम वर्ग और श्रमिक वर्ग पर दबाव बढ़ा है।
- 2 साल में 5 पीएम : हाल ही में सेबास्टियन लेकोर्नु को प्रधानमंत्री बनाया गया है। यह दो साल से भी कम समय में पांचवें प्रधानमंत्री हैं। इससे लोगों में अस्थिरता और असंतोष बढ़ गया है। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि उनकी नियुक्ति की शुरुआत से ही सरकार पर दबाव बनाया जाए।
- “ब्लॉक एव्रीथिंग” प्रदर्शन : वामपंथीऔर जमीनी संगठनों ने इस नारे के साथ आंदोलन शुरू किया है ताकि देश में सब कुछ ठप करके सरकार को झुकने पर मजबूर किया जा सके।
Block Everything Protests Of France : क्या है ‘Block Everything’ प्रदर्शन..?

“ब्लॉक एवरीथिंग” (Block Everything Protests Of France) सामूहिक एक लोगों द्वारा नेतृत्व प्राप्त आंदोलन है जो सरकारी नीतियों के विरोध में बहिष्कार, सविनय अवज्ञा और एकजुटता का आह्वान करता है। यूनियनों या राजनीतिक दलों द्वारा संचालित पारंपरिक हड़तालों के विपरीत, यह आंदोलन स्वतंत्र है, जो मुख्य रूप से एक्स, टिकटॉक, टेलीग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से संगठित होता है।
समर्थक अपना संदेश फैलाने के लिए #10septembre2025 और #10septembre जैसे हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसे कार्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
- कैरेफोर, अमेज़न और औचन जैसे प्रमुख खुदरा विक्रेताओं का बहिष्कार।
- बैंकों से पैसा निकालना।
- टाउन हॉल जैसे प्रतीकात्मक स्थलों पर शांतिपूर्ण कब्ज़ा।
- आस-पड़ोस में सभाएँ आयोजित करना और हड़ताल के लिए धन जुटाना।
हालाँकि Block Everything Protests Of France “सब कुछ अवरुद्ध करने” के अपने स्वघोषित लक्ष्य को पूरी तरह हासिल नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने व्यापक व्यवधान पैदा किया और जनता का गुस्सा बढ़ता हुआ दिखाया।

विरोध प्रदर्शन के तात्कालिक प्रभाव-
इसका तात्कालिक कारण है फ्रांस्वा बायरू (Francois Bayrou) का 2026 का बजट, जिसमें प्रस्ताव है:
- राष्ट्रीय बजट से 43.8 मिलियन फ़्रैंक की कटौती।
- देश के घाटे को कम करना।
- दो राष्ट्रीय अवकाशों को हटाना।
- पेंशन पर रोक।
- स्वास्थ्य सेवा से 5 बिलियन फ़्रैंक की कटौती।
इन सब के अतिरिक्त पेरिस में बुधवार को श्रम मंत्रालय के बाहर सैकड़ों कर्मचारियों ने वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
सीजीटी यूनियन के नेता अमार लाघा ने कहा कि 10 साल काम करने के बाद भी कर्मचारियों को 1600 यूरो नेट से ज्यादा वेतन नहीं मिलता।
औशां, कार्फूर और मोनोप्रिक्स जैसी कंपनियों के कर्मचारी इसमें शामिल हुए। यूनियनों को उम्मीद है कि यह प्रदर्शन (Block Everything Protests Of France) 18 सितंबर की राष्ट्रीय हड़ताल का रास्ता बनाएगा।
फ़्रांस के प्रधानमंत्री फ़्रांसवा बायरू जो संसद में विश्वास मत पाने में नाकाम रहे, ने नेशनल असेंबली में दिए गए एक जोशीले भाषण में कहा कि फ़्रांस का बढ़ता सार्वजनिक घाटा और बढ़ता कर्ज इसके भविष्य के लिए खतरा है और यह हमें डुबो रहा है। उन्होंने आगे कहा ‘हमारे देश के लोग काम करते हैं और सोचते हैं कि यह समृद्ध होता जा रहा है, लेकिन असल में देश गरीब होता जा रहा है’।
Block Everything Protests Of France : फ्रांस ऋण संकट में क्यों है?

दशकों से, फ़्रांस की सरकार ने अपनी कमाई से ज़्यादा पैसा खर्च किया है। इस वजह से देश को अपना बजट पूरा करने के लिए उधार लेना पड़ा है।
2025 की शुरुआत में, सरकार ने कहा कि उसका सार्वजनिक ऋण €3,345 बिलियन, या देश के सकल घरेलू उत्पाद का 114% था। यह बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, “यूरोज़ोन में ग्रीस और इटली के बाद सबसे ज़्यादा सार्वजनिक ऋण है, और लगभग €50,000 प्रति फ्रांसीसी नागरिक के बराबर है”।
पिछले वर्ष बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.8% था, जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 5.4% रहने की संभावना है।
फ्रांस में भी वृद्ध आबादी है, जहाँ कम श्रमिकों पर कर लगाया जाता है और अधिक नागरिक राज्य पेंशन प्राप्त करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर सार्वजनिक व्यय होता है।
NOTE :- यूरोप का ऋण किंग-
फ्रांस का ऋण-जीडीपी अनुपात इतना ऊँचा है कि यूरोपीय संघ में केवल ग्रीस और इटली ही उससे आगे हैं। इस वर्ष 5.4% से 5.8% के बजट घाटे के साथ, पेरिस 27 देशों वाले यूरोपीय संघ में सबसे बड़ा बजट घाटा भी झेल रहा है।
घाटे को 3% तक कम करने के यूरोपीय संघ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए, भारी बचत अपरिहार्य है। फ़्रांसीसी ऋण भुगतान 2029 तक 100 बिलियन यूरो से अधिक तक पहुँचने वाला है – जो 2024 में 59 बिलियन यूरो था।
फ़्रांस की सार्वजनिक वित्तीय स्थिति गड़बड़ा गई है। महामारी के अंत के बाद से पेरिस अपनी उधारी में ज़्यादा कटौती नहीं कर पाया है, इसलिए सार्वजनिक ऋण का बोझ अस्थिर दर से बढ़ रहा है। रक्षा, डिजिटलीकरण और हरित परिवर्तन की लागत के अलावा, फ्रांस अपने वार्षिक आर्थिक उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत पेंशन पर खर्च कर रहा है – और यह हिस्सा उसकी जनसंख्या की उम्र बढ़ने के साथ और भी बढ़ने वाला है।
Block Everything Protests Of France : फ़्रांस की वित्तीय स्थिति टिकाऊ क्यों नहीं है?
सार्वजनिक व्यय का भुगतान करों से करना पड़ता है। फ्रांस पर पहले से ही विकसित देशों में सबसे अधिक कर का बोझ है, जो 2023 में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 44 प्रतिशत है। लेकिन 50 वर्षों से खर्च लगातार कर राजस्व से आगे रहा है।
सरकार ने आखिरी बार 1974 में अधिशेष अर्जित किया था। IMF (जो इन चीजों पर लगातार नज़र रखता है) का अनुमान है कि 2030 तक फ्रांस का सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 130 प्रतिशत होगा, जो 2008 के वित्तीय संकट से पहले के मुकाबले दोगुना है।
Block Everything Protests Of France : फ़्रांस में राजनीतिक अस्थिरता…

दरअसल, फ़्रांस में फिलहाल संसद में किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में देश में नई नेतृत्व तय नहीं हो पा रहा है, न ही कोई गठबंधन साथ आकर स्थिर सरकार और प्रधानमंत्री दे पा रहा है। इसके चलते फ़्रांस में कई योजनाएं लगातार अटकी हैं। कुछ फैसलों को लेकर दक्षिणपंथी पार्टियाँ तो कुछ नीतियों पर वाम दल सहमत नहीं दिखते। ऐसे में फ़्रांस में सेन्ट्रिस्ट (मध्यमागीय) सरकार चलाने में दिक्कतों का सामना कर रही है।
हालांकि, विरोध प्रदर्शनों के बीच लेकोनू ने प्रधानमंत्री पद संभाला-

फ़्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोनू ने विरोध प्रदर्शन के बीच बुधवार को पदभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के करीबी और पूर्व रक्षामंत्री लेकोनू पिछले दो सालों में पांचवें प्रधानमंत्री बने हैं।
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