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ToggleRussian Envoy Remaining S-400 Come By 2026 : हाल ही में नई दिल्ली में रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने सोमवार (2 जून, 2025) को कहा कि भारत को एस-400 सामरिक वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की शेष रेजिमेंट निर्धारित समय के अनुसार 2026 तक प्राप्त हो जाएगी।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत-पाक के मध्य सैन्य तनाव पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही चरम पर है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास शेष एस-400 रक्षा प्रणाली का आना सैन्य क्षमता में वृद्धि करेगा।
Russian Envoy, Remaining S-400 Come By 2026 : क्या है पूरा मामला?

भारत ने रूस के साथ 5 रेजिमेंटों के लिए 5.43 बिलियन डॉलर के अनुबंध पर 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे। जिनमें से 3 भारत को पहले ही प्राप्त हो चुके हैं जिन्हें रेजिमेंट में पहले से ही पाकिस्तान और चीन की सीमा से लगे पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों पर तैनात कर दिया गया है।
रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने 2019 में लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था, “रूस से एस-400 प्रणाली की डिलीवरी के लिए 5 अक्टूबर, 2018 को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। डिलीवरी अप्रैल 2023 तक होने की संभावना है।”
टीएनआईई (The TNIE) ने पहले बताया था कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण एस-400 प्रणाली की डिलीवरी में देरी हुई, जिससे आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन प्रभावित हुआ। भारत को रूस से एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की 4th और 5th रेजिमेंट क्रमशः फरवरी 2026 और अगस्त 2026 (Russian Envoy, Remaining S-400 Come By 2026) में प्राप्त होगी। जिसके विषय में सोमवार को रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने मीडिया में जानकारी दी।
भारतीय वायु सेना ने रूसी निर्मित S-400 प्रणाली को ‘सुदर्शन चक्र‘ नाम दिया है।
Russian Envoy, Remaining S-400 Come By 2026 : क्या है S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली?

S-400 ट्रायम्फ उन्नत रूसी प्रणाली से विकसित एक सतह से हवा (SAM) में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है और इसे दुनिया के सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।
इसका उद्देश्य विभिन्न वायु खतरों जैसे- विमान, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) से रक्षा करना है।
इस सिस्टम में शामिल हैं-
- मल्टी–फंक्शनल रडार
- स्वचालित कमांड सेंटर
- चार प्रकार की मिसाइलें
- मोबाइल लॉन्चर
क्षमता:
- अधिकतम रेंज: 400-600 किमी तक
- लक्ष्य की ऊँचाई: 10 मीटर से 30 किमी तक
- एक साथ ट्रैकिंग: 80 लक्ष्य
- एक साथ लक्ष्य भेदन: 36 लक्ष्य
- तेजी: 4.8 किमी/सेकंड (पैट्रिओट सिस्टम से तेज)
- तैनाती का समय: 5 मिनट (पैट्रिओट के 25 मिनट की तुलना में)
रडार प्रणाली:
- 91N6E बिग बर्ड: लंबी दूरी के लक्ष्य का पता लगाने के लिए तीन-आयामी चरणबद्ध एरे रडार।
- 92N6E ग्रेव स्टोन: मध्यम और छोटी दूरी के लक्ष्यों को सटीकता से पहचानने और मिसाइल मार्गदर्शन के लिए।
गतिशीलता और तैनाती:

मोबाइल सिस्टम : ट्रकों पर माउंट किया जा सकता है। जिसके चलते आसानी से पुनर्स्थापन और तैनाती के लिए उपयुक्त बन जाता है।
सामरिक महत्व:
- S-400 की तेज गति और बहु-स्तरीय रक्षात्मक क्षमता इसे भारत के लिए रणनीतिक गेमचेंजर बनाती है।
- यह प्रणाली जल्दी प्रतिक्रिया देने में सक्षम है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में वायु रक्षा को मजबूत बनाती है।
- भारत के हवाई क्षेत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों के परिप्रेक्ष्य में।
भारत के दृष्टिकोण से इसकी उपयोगिता-
- भारत में इस प्रणाली का उपयोग वायु रक्षा रणनीति के तहत चीन और पाकिस्तान से वायु और मिसाइल खतरों से निपटने के लिए किया जा रहा है।
- पूर्वोत्तर सीमा पर रणनीतिक रूप से तैनात किया जाएगा।
- दुश्मन के लक्ष्यों की प्रारंभिक चेतावनी और सटीक लक्ष्य भेदन की सुविधा।
Russian Envoy, Remaining S-400 Come By 2026 : कितने देशों के पास है यह सिस्टम?
रूस द्वारा निर्मित इस उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली (S-400) का लोहा विश्व ने माना है जिसके चलते विश्व के विभिन्न देशों भारत, चीन, तुर्किए, सऊदी अरब और कतर ने इसे अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए खरीदा भी है।
Russian Envoy, Remaining S-400 Come By 2026 : वर्तमान स्थिति..
रोमन बाबुश्किन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “हमने सुना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान एस-400 ने बहुत कुशलता से काम किया।”
इस बात को स्वीकार करते हुए कि भारत और रूस के बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है, रोमन बाबुश्किन ने कहा कि वायु रक्षा प्रणाली, “हम जो अनुभव कर रहे हैं, यूरोप में स्थिति के अनुसार, यह सामान्य रूप से रक्षा तैयारी में हमारी साझेदारी के आशाजनक विषयों में से एक है”।
उन्होंने कहा, “जहां तक मेरी जानकारी है, शेष एस-400 इकाइयों के लिए अनुबंध तय कार्यक्रम के अनुसार होगा। हम वायु रक्षा प्रणाली पर बातचीत के विस्तार की चर्चा के लिए इस साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं… मुझे लगता है कि यह 2025, 2026 में किया जाएगा।”
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