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ToggleShould India Create A Crypto Strategic Reserve? : हाल ही के कुछ समय अंतराल में जिस प्रकार से वैश्विक स्तर पर भू-अर्थव्यवस्था ने अपना स्वरूप बदला है उससे भारत के घरेलू बाजार एवं अन्य आर्थिक गतिविधियों को और अधिक मजबूत करने के लिए क्रिप्टो का स्ट्रेटजिक रिजर्व बनाने की मांग तेजी से उठने लगी है।
साथ ही भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख नेता ‘प्रदीप भण्डारी’ ने भी देश से बिटकॉइन को अपने रणनीतिक वित्तीय भंडार में शामिल करने पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया है।
इसके पीछे मुद्रा का आधुनिकीकरण, वैश्विक बाजार से बेहतर तालमेल और डिजिटल मुद्रा का विस्तार जैसे प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। इस लेख में भारत की इस दिशा में रणनीति, होने वाले लाभ व जोखिमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Should India Create A Crypto Strategic Reserve? : जाने पूरी खबर…
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत एक ऐसे निर्णायक मोड़ पर खड़ा है जहाँ एक “नपी-तुली बिटकॉइन रणनीति” उसकी आर्थिक क्षमता को महत्वपूर्ण रूप (Should India Create A Crypto Strategic Reserve?) से बढ़ा सकती है और वैश्विक मंच पर आधुनिक वित्तीय दूरदर्शिता की छवि पेश कर सकती है।
यह आह्वान ऐसे समय में आया है जब अन्य देश और क्षेत्र तेज़ी से बिटकॉइन की क्षमता को स्वीकार कर रहे हैं। भंडारी संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा स्थापित रणनीतिक बिटकॉइन रिज़र्व और टेक्सास जैसे राज्यों द्वारा अपनाई जा रही इसी तरह की पहलों की ओर इशारा करते हैं, जो सार्वजनिक वित्तीय नियोजन में बिटकॉइन की भूमिका की बढ़ती संस्थागत मान्यता का संकेत देते हैं।
भंडारी ने मार्च में बनाए गए अमेरिकी रणनीतिक बिटकॉइन रिज़र्व का हवाला दिया, जिसमें माना जाता है कि 200,000 जब्त बिटकॉइन रखे जा सकते हैं। सटीक होल्डिंग्स को लेकर अनिश्चितता के बावजूद, टेक्सास जैसे राज्य भी इसी तरह के भंडार की तलाश में हैं, जो सार्वजनिक वित्तीय योजना के हिस्से के रूप में बिटकॉइन में बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
संघीय सरकार करदाताओं की लागत बढ़ाए बिना बिटकॉइन होल्डिंग्स का विस्तार करने पर भी विचार कर सकती है। कई राज्यों में सार्वजनिक बिटकॉइन भंडार स्थापित करने के विधायी प्रयास आर्थिक अस्थिरता के खिलाफ बचाव के रूप में डिजिटल परिसंपत्तियों की बढ़ती संस्थागत स्वीकृति को दर्शाते हैं।
साथ ही जिस प्रकार की गति से विश्व आधुनिक बाजार को स्वीकार कर रहा है उसमें डिजिटल मुद्रा (Should India Create A Crypto Strategic Reserve?) की स्थिति निरंतर मजबूत होती जा रही है। इसमें कई देश इसे पूर्ण व आंशिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं और भारत सहित लगभग 110 से अधिक देश डिजिटल मुद्रा की खोज करने में प्रयासरत हैं।
Should India Create A Crypto Strategic Reserve? : क्या है बिटकॉइन (Bitcoin)?

बिटकॉइन (BTC) एक क्रिप्टोकरेंसी (एक वर्चुअल मुद्रा) है जिसे किसी एक व्यक्ति, समूह या संस्था के नियंत्रण से बाहर मुद्रा और भुगतान के रूप में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे वित्तीय लेनदेन में विश्वसनीय तृतीय पक्ष (जैसे मिंट या बैंक) की भागीदारी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
बिटकॉइन को 2008 में एक बेनाम डेवलपर या डेवलपर्स के समूह द्वारा जनता के लिए पेश किया गया था जिसका नाम सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) था। तब से यह दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बन गई है। इसकी लोकप्रियता ने कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी के विकास को प्रेरित किया है।
Should India Create A Crypto Strategic Reserve? : क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?

- एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी।
- डॉलर या रुपए जैसा लेन-देन होता है।
- दुनिया में 4 हजार से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी।
- बिटकॉइन सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी।
नोट:- इसमें ट्रांजेक्शन “ब्लॉकचेन तकनीक” के जरिए पब्लिक लिस्ट में रिकॉर्ड होता है।
कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी?
- माइनिंग में डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है।
- पहेली हल करने में खुद के प्रोग्रामिंग कोड की जरूरत।
- माइनिंग में बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत।
- सैद्धांतिक तौर कोई भी बना सकता है।
नोट:- व्यावहारिक तौर इसे बनाना बहुत ही मुश्किल।
Should India Create A Crypto Strategic Reserve? : डिजिटल मुद्रा का भारत में भविष्य…

भारत में इस दिशा में अप्रैल 11, 2016 को पहला कदम लिया गया जब देश में UPI को डिजिटल भुगतान को सरल बनाने, उन्हें अधिक सुविधाजनक बनाना तथा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा लॉन्च किया गया था।
जिससे भारत डिजिटल भुगतान वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) के माध्यम से भुगतान में 2024-25 के दौरान मात्रा में 34.8 प्रतिशत और मूल्य में 17.9 प्रतिशत की मज़बूत वृद्धि देखी गई। जो भारत (Should India Create A Crypto Strategic Reserve?) के कैशलेस और अधिक समावेशी भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बदलाव को दर्शाता है।
जिसके बाद डिजिटल मुद्रा को और अधिक प्रोत्साहन देने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 7 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) पर एक अवधारणा नोट जारी कर 1 नवंबर 2022 को थोक क्षेत्र के लिए डिजिटल रुपया-थोक (e₹-W) और 1 दिसंबर, 2022 को खुदरा संस्करण के लिए ई-रुपया खुदरा (e₹-R) लॉन्च किया। इसकी प्रमुख बात यह है कि यह ब्लॉकचेन और डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर तकनीक का उपयोग करता है।
CBDC जारी करने के लिए विचार किए जाने वाले प्रमुख डिजाइन विकल्पों में शामिल हैं-
- जारी किए जाने वाले सीबीडीसी का प्रकार (थोक सीबीडीसी और/या खुदरा सीबीडीसी)।
- सीबीडीसी जारी करने और प्रबंधन के लिए मॉडल (प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष या हाइब्रिड मॉडल)।
- सीबीडीसी का रूप (टोकन-आधारित या खाता-आधारित)।
- उपकरण डिजाइन (पारिश्रमिक या गैर-पारिश्रमिक)।
- गुमनामी की डिग्री।
CBDC जारी करने और प्रबंधन के लिए मॉडल-
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जारी करने और प्रबंधन के लिए दो मॉडल हैं: प्रत्यक्ष मॉडल (एकल स्तरीय मॉडल) और अप्रत्यक्ष मॉडल (दो-स्तरीय मॉडल)।
प्रत्यक्ष मॉडल वह होगा जहाँ केंद्रीय बैंक सीबीडीसी प्रणाली के सभी पहलुओं, जैसे जारी करना, खाता-रखना और लेनदेन सत्यापन, के प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार होगा।
अप्रत्यक्ष मॉडल में, केंद्रीय बैंक और अन्य मध्यस्थ (बैंक और अन्य सेवा प्रदाता), प्रत्येक अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। इस मॉडल में, केंद्रीय बैंक अप्रत्यक्ष रूप से मध्यस्थों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सीबीडीसी जारी करता है और उपभोक्ताओं के किसी भी दावे का प्रबंधन मध्यस्थ द्वारा किया जाता है क्योंकि केंद्रीय बैंक केवल मध्यस्थों को थोक भुगतान ही संभालता है।
अप्रत्यक्ष मॉडल वर्तमान भौतिक मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के समान है, जिसमें बैंक जनता को नोटों का वितरण, खाता-रखाव, अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) से संबंधित आवश्यकता का पालन और धन शोधन विरोधी और वित्तपोषण के आतंकवाद का मुकाबला (एएमएल/सीएफटी) जांच, लेनदेन सत्यापन आदि जैसी गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं।
इससे यह आकलन किया जा सकता है कि भारत मुद्रा के डिजिटलीकरण के माध्यम से भुगतान को और अधिक सरल बना कर आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करने की दिशा में कार्यरत है।
Should India Create A Crypto Strategic Reserve? : भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य…

वर्ष 2013 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में पहला परिपत्र जारी किया था जिसका उद्देश्य आभासी मुद्राओं के उपयोग से संबंधित संभावित सुरक्षा-संबंधी जोखिमों के बारे में उपयोगकर्ताओं को चेतावनी देना था। क्योंकि भारत में उन दिनों क्रिप्टो निवेश में तेजी आई और ज़ेबपे, पॉकेट बिट्स, कॉइनसिक्योर, कोइनेक्स और यूनोकॉइन जैसे एक्सचेंज उभरने लगे थे।
जिसके बाद 1 नवंबर 2018 को, नाकामोतो के पेपर के दस साल बाद, वज़ीरएक्स के संस्थापक निश्चल शेट्टी ने भारत में क्रिप्टो के सकारात्मक नियमन के लिए #IndiaWantsCrypto अभियान शुरू किया।
मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के सर्कुलर को असंवैधानिक घोषित करते हुए प्रतिबंध हटा दिया गया।
29 जनवरी, 2021 को, भारत सरकार ने घोषणा की कि वह एक सॉवरेन डिजिटल करेंसी बनाने के लिए एक विधेयक पेश करेगी और उसके बाद निजी क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाएगी। नवंबर 2021 में, वित्त संबंधी स्थायी समिति ने ब्लॉकचेन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (BACC) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और इस निष्कर्ष पर पहुँची कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें विनियमित किया जाना चाहिए।
Should India Create A Crypto Strategic Reserve? : भारत के लिए यह क्यों मायने रखता है ?
हालांकि, भारत वर्तमान में क्रिप्टो लेनदेन पर 30% कर और 1% टीडीएस लगाता है, आलोचकों का तर्क है कि इस दृष्टिकोण ने उपयोगकर्ताओं को अपतटीय एक्सचेंजों (offshore Exchanges) की ओर धकेल दिया है और नवाचार में बाधा उत्पन्न की है। देश ने कथित तौर पर सिर्फ़ एक साल में विदेशी मुद्रा विनिमय में क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम में 4.2 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाया है। अल सल्वाडोर या अमेरिका में संस्थागत होल्डिंग्स के समान बिटकॉइन रिज़र्व रणनीति, दीर्घकालिक दृढ़ विश्वास और आर्थिक लचीलेपन का संकेत दे सकती है।
वैश्विक बदलाव: बिटकॉइन अपनाने की बढ़ती दौड़-
अमेरिका जैसे देश स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ (Bitcoin ETFs) को अपना रहे हैं, जबकि पाकिस्तान ने बाइनेंस (Binance) के अधिकारियों जैसी प्रमुख क्रिप्टो हस्तियों की मेजबानी की है। इस बीच, जापान स्थित मेटाप्लेनेट और अमेरिका स्थित संस्थानों ने बिटकॉइन को एक आरक्षित संपत्ति के रूप में जमा करना शुरू कर दिया है।
जैसे-जैसे ब्रिक्स देश डॉलर के विकल्प तलाश रहे हैं, यह एक सामयिक प्रश्न उठाता है कि क्या भारत को भी बिटकॉइन को अपनी आर्थिक नीति में शामिल करने पर विचार करना चाहिए?
क्या भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिप्टो नियामक ढांचे की कमी के बारे में चिंता जताई है?
शैलेश भट्ट की ज़मानत याचिका पर 2025 की शुरुआत में सुनवाई के दौरान: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने वाले स्पष्ट नियामक ढाँचे के अभाव पर प्रकाश डाला और न्यायालय ने उचित विनियमन के बिना क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर कर लगाने के विरोधाभास पर टिप्पणी की।
मौजूदा संकेतों के अनुसार, भारत (Should India Create A Crypto Strategic Reserve?) में क्रिप्टोकरेंसी से निपटने या इसके स्वस्थ संचालन के लिए अभी स्पष्ट एवं व्यवस्थित कानूनी उपबंधो का अभाव है परंतु परिवर्तित होते वैश्विक आर्थिक समीकरणों के चलते यह माना जा सकता है कि सरकार द्वारा इस पर देश की सुरक्षा और समृद्धि को ध्यान में रखकर सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
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