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ToggleUSA vs INDIA A Changing Geopolitics !! : हाल के कुछ समय से यदि भारत और यूएसए के रिश्तों पर ध्यान केंद्रित करें तो एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है जिसके पीछे व्यापारिक एवं प्रतिस्पर्धात्मक दोनों ही कारण देखने को मिलते हैं साथ ही साथ राष्ट्रपति ट्रम्प का निजी स्वार्थ भी इन रिश्तों में कहीं न कहीं खटास डाल रहा हैं।
परिणामस्वरूप बदलता भू-राजनीतिक परिदृश्य वर्तमान समय में किसके पक्ष में है और भविष्य में किस प्रकार का वैश्विक समीकरण स्थापित करेगा इसका आकलन आज के इस लेख में देखेंगे।
USA vs INDIA A Changing Geopolitics !! : जानें विस्तार से…

माना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच की केमिस्ट्री बहुत अच्छी है और यह दुनिया ने देखा भी जब ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल 2017 से 2021 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के ह्यूस्टन (टेक्सास) में एनआरजी स्टेडियम में एक सामुदायिक शिखर सम्मेलन और मेगा इवेंट “हाउडी मोदी (Howdy, Modi!)” 22 सितंबर, 2019 को आयोजित किया था।
जिसके बाद दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक संबंधों, रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर जोर दिया गया। और तबसे ट्रम्प व मोदी को एक-दूसरे का अच्छा मित्र माना जाता रहा है।
परंतु राष्ट्रपति ट्रम्प के अपने दूसरे कार्यकाल (2024 से 2028) में वह पूर्णतः बदले हुए दिख रहे हैं क्योंकि अब उनका दृष्टिकोण समावेशी प्रयासों से सामूहिक हितों पर न हो करके अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति तक सीमित रह गया है।
उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति ट्रम्प अपने वर्तमान के कार्यकाल में ‘नोबल शांति पुरस्कार’ पाने के लिए विश्व के प्रत्येक प्रभावी देशों की संप्रभुता एवं अखंडता को दरकिनार करते हुए अपने सिद्धांतों की अनुपालना कराने की होड़ में लगे हुए हैं और ऐसा ही कुछ वह भारत के साथ करने में लगे हैं जिससे यह कहा जा रहा है कि अब भू-राजनीति के बदलने का समय आ गया है।
हाल ही में ट्रम्प ने जहाँ एक ओर भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण 25% + 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया है वहीं दूसरी ओर ट्रम्प ने पाकिस्तान के साथ ऑयल डील होने का ऐलान किया है। साथ ही साथ भविष्य में (USA vs INDIA A Changing Geopolitics !!) भारत पर और अधिक एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है।
USA vs INDIA A Changing Geopolitics !! : क्या है अमेरिका की बेचैनी के कारण??

- राजनीतिक कारण:
प्रधानमंत्री मोदी का सदन में दिया गया बयान-
अभी भारत में संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है जिसमें विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी से राष्ट्रपति ट्रम्प के बार-बार भारत-पाक युद्ध के बीच युद्धविराम करवाने वाले बयान पर उनकी टिप्पणी मांगी थी। जिसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था “किसी भी विश्व के नेता ने हमसे ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा”।
साथ ही साथ भारत के विभिन्न मंत्रियों जैसे विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्री ने अनेकों मंचों से इस बात को कहा भी कि किसी भी तीसरे देश ने भारत-पाक के मध्य युद्धविराम नहीं कराया बल्कि पाकिस्तान ने खुद भारत से युद्धविराम की पहल की थी।
2. व्यापारिक कारण :
रक्षा समझौता एवं कृषि समझौता-
अमेरिका भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखता है जहाँ वह अपने हर प्रकार के उत्पादकों को बेच कर बड़ा मुनाफा कमाना चाहता है। इसी दिशा में देखा जाए तो अमेरिका, भारत के साथ बड़ी रक्षा डील करना चाहता है जिसमें वह भारत को F-35 फाइटर जेट बेचने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है।
टैरिफ को लेकर अमेरिका से तनातनी के बीच ऐसी खबरें आ रही थीं कि अमेरिका ने भारत को F-35 जेट खरीदने का ऑफर दिया था लेकिन अब भारत ने जेट्स खरीदने से इनकार कर दिया है। इस खबर पर भारतीय विदेश मंत्रालय की टिप्पणी सामने आई। लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि इस मुद्दे पर अमेरिका से अभी तक कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।
दरअसल, विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या अमेरिका ने भारत को F-35 जेट खरीदने का ऑफर धिया है? ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने अमेरिका के इस ऑफर को ठुकरा दिया है। जबाव में विदेश मंत्रालय ने लोकसभा में लिखित रूप से कहा, ‘इस मुद्दे पर अभी तक कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई है’।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की है, “’भारत और अमेरिका के बीच मजबूत साझेदारी है और हाल के समय में इसमें और मजबूती आई है। ये साझेदारी आगे भी चलती रहेगी। अमेरिका के साथ मिलकर हमने 21वीं सदी के इंडिया-यूएस कॉम्पैक्ट पार्ट्नर्शिप बनाई है जो संबंधों को और आगे ले जाएगी। जहाँ तक F-35 का सवाल है, इस संबंध में सबधित मत्रालय सही जवाब दे पाएगा।
और जहाँ तक कृषि समझौते की बात है तो भारत-अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी डील के पीछे का सबसे बड़ा कारण यही है क्योंकि भारत अपने किसानों को किसी भी प्रकार से हानि नहीं पहुंचना चाहता और अमेरिका भारतीय बाजार में अपनी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों (GMCrops) और डेयरी कारोबार के लिए भारत का बाजार खोलने का भरपूर प्रयास कर रहा है।
जबकि यह दोनों ही न केवल मनुष्यों अपितु सम्पूर्ण पारिस्थितिकी के लिये हानिकारक है। आपको बता दें अमेरिका का डेयरी कारोबार ‘नॉनवेज मिल्क’ भारत में मंजूरी दिलाना चाहता है।
नॉन वेज मिल्क क्या होता है?
अम़ेरिका में नॉनव़ेज मिल्क उस़े माना जाता है जिस़े ऐस़े जानवर स़े निकाला जाता है जिस़े मांस या उसस़े संबंधित चीज खिलाई गई हो। अमेरिका में गायों को ऐसा चारा खिलाने की अनुमति है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोडे, बिल्ली या कुत्ते के अंग शामिल हो सकते हैं। वहीं प्रोटीन क़े लिए सुअर और घोड़़े का खून भी खिलाया जाता है। ऐसे में इन मवेशियों से निकले दूध को ‘नॉन व़ेज मिल्क या मासाहारी दूध’ कहते हैं।
3. आर्थिक कारण:
भारत का निरंतर बढ़ता आर्थिक स्तर-
क्योंकि भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और हाल ही में भारत, जापान को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी सर्वाधिक बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में अनुमान लगाया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% की दर से बढ़ेगी। जो की दर्शाता है कि भारत वर्ष 2028 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायगा।
USA vs INDIA A Changing Geopolitics !! : भारत की रणनीति??

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा- बाजार में जो चीज मौजूद हैं और दुनिया में जो हालात हैं, भारत उसी हिसाब से फैसले लेता है।
भारत इन दिनों सभी चीजों पर अपनी नजर बनाए हुए है और भविष्य के लिए व्यापक आयाम तलाश रहा है। इसेमें (USA vs INDIA A Changing Geopolitics !!) निम्न प्रकार से रणनीति बनाई जा सकती है-
- कूटनीतिक प्रयास:
भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में भारत को शांति एवं सद्भाव के साथ ग्लोबल साउथ के विकसित देशों के साथ-साथ विभिन्न अन्तर्राष्ट्रिय मंचों जैसे ब्रीक्स (BRICS), बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC), दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन (ASEAN) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का उपयोग क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा एवं आर्थिक गलियारों को मजबूत करने के लिए करना चाहिए।
2. घरेलू बाजार को मजबूती:
भारत दुनिया की सर्वाधिक जनसंख्या रखने वाला देश है। ऐसे में इस जनसंख्या का सही उपयोग घरेलू सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम बाजार को विकसित करने में किया जाना चाहिए। जिससे आयातित वस्तुओं पर से निर्भरता कम होगी और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को बल मिलेगा।
3. सामाजिक एवं सांस्कृतिक सबंध:
भारत एक महान सनातन परंपरा वाला देश है इसलिए इसकी जड़ें ग्रंथों, कलाओं, मंदिरों एवं साम्राज्यों के मध्यम् से विश्व भर में फैली हैं। भारत अपनी इसी महान विरासत से सामाजिक एवं सांस्कृतिक संबंध मजबूत कर सकता है जो न केवल क्षेत्रीय समरसता को बढ़ाएगा अपितु हिन्द महासागर और दक्षिण एशियाई देशों के साथ साझा रिश्तों को भी मजबूत करेगा।
हालांकि, भारत सरकार ने अपना एक ही पक्ष इस वैश्विक अस्थिरता में रखा है कि ‘हमारी प्राथमिकता, हमारे नागरिकों के प्रति है’। इसलिए अमेरिका का यह अनावश्यक दबाव भारत झेलने वाला नहीं और इसे भारत (USA vs INDIA A Changing Geopolitics !!) कमजोर होने की बजाय अब पूर्व, दक्षिण-पूर्व और ग्लोबल साउथ में अपनी दावेदारी पेश करेगा।
इससे ऐसा लगता है कि भू-राजनीतिक परिदृश्य अब पश्चिम तक ही सीमित नहीं रहेगा।
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