EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : विदेशमंत्री जयशंकर की चीन की यात्रा एक यात्रा मात्र या फिर आर्थिक संबंधों को मजबूती देना ??

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EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : हाल ही में चीन में चल रहे संघाई कोरपोरेशन ऑर्गनाईजेशन (SCO) की बैठकों के चलते भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर की 5 साल बाद चीन की यात्रा पर पहुंचे। यह मुलाकात चाइना में होने वाले SCO के हेड ऑफ स्टेट (HoS) की बैठक से पूर्व की पारंपरिक आधिकारिक मुलाकात है।

विदेशमंत्री जयशंकर की इस यात्रा के अपने मायने हैं क्योंकि जहाँ एक ओर भारत, अमेरिकी टैरीफ में उलझा है वहीं दूसरी ओर भारत-पाक सैन्य तनाव में चीन के द्वारा पाकिस्तान का समर्थन भी देखा इसलिए ऐसे में यह यात्रा बहुत ही खास बन जाती है जिसके अपने राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक महत्व हो सकते हैं।

EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : जानें पूरी खबर…

दरअसल 14 जुलाई 2025 को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर अपनी चीन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की यात्रा पर थे। जिस दौरान उन्होंने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष, सीपीसी पोलित ब्यूरो सदस्य (CPC Politbureau Member) और विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

बैठक के दौरान, दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा हाल ही में की गई प्रगति पर ध्यान दिया, जिसमें इस वर्ष राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाने की गतिविधियों सहित जन-केंद्रित जुड़ाव को भी प्राथमिकता दी गई।

साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से बहाल करने में चीनी पक्ष के सहयोग की सराहना की। दोनों पक्ष, लोगों के बीच आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए एक-दूसरे के देश की यात्रा और सीधी उड़ान कनेक्टिविटी सहित अतिरिक्त व्यावहारिक कदम उठाने पर सहमत हुए।

इसी बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों (EAM Jaishankar Meets President Jinping !!) के सुचारू विकास के लिए सीमा पर शांति और सौहार्द के सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला तथा तनाव कम करने और सीमा प्रबंधन की दिशा में निरंतर प्रयासों का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने सीमा पार नदियों पर सहयोग (trans-border rivers cooperation) की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिसमें चीनी पक्ष द्वारा जल विज्ञान संबंधी आँकड़े (hydrological data) उपलब्ध कराना भी शामिल है। उन्होंने प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और आर्थिक सहयोग में आने वाली बाधाओं का भी मुद्दा उठाया।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि SCO की आगामी बैठक में ‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति’ को बरकरार रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका प्राथमिक कार्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मुकाबला करना है। हालांकि उनकी इस टिप्पणी को पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन के संदर्भ में देखा जा रहा है।

दोनों मंत्रियों ने साझा हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सफल अध्यक्षता के लिए चीनी पक्ष के प्रति भारत का समर्थन व्यक्त किया।

अंततः दोनों के मध्य चर्चाएँ रचनात्मक और दूरदर्शी रहीं। दोनों मंत्रियों ने (EAM Jaishankar Meets President Jinping !!) द्विपक्षीय यात्राओं और बैठकों सहित, संपर्क में बने रहने पर सहमति व्यक्त की।

परंतु मुद्दा अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर तब गरमाया जब इस दौरान, विदेश मंत्री (EAM Jaishankar Meets President Jinping !!) ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग (Han Zheng) से भी मुलाकात की और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय विभाग के मंत्री लियू जियानचाओ (Liu Jianchao) के साथ-साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की।

EAM Jaishankar Meets President Jinping !!
EAM Jaishankar Meets President Jinping !!

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने सोशल मीडिया X पोस्ट पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि आज सुबह (यानी 14 जुलाई, 2025) बीजिंग में अपने साथी SCO विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की।

जयशंकर ने कहा कि “यह आपसी रणनीतिक विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास का मूल आधार है। अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दें, जिसमें तनाव कम करना भी शामिल है”।

यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि पिछले साल कज़ान (Kazan) में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से सकारात्मक प्रगति को देखा गया, जिसके बाद वर्तमान में जयशंकर ने बीजिंग से संबंधों के प्रति “दूरदर्शी दृष्टिकोण” अपनाने का आग्रह करते हुए उन्होंने आगे कहा, “भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल हमारे लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभदायक हैं। यह पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक हित और पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को संभालने से ही संभव है। हम पहले भी इस बात पर सहमत हुए हैं कि मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा कभी संघर्ष में बदलनी चाहिए। इसी आधार पर, अब हम अपने संबंधों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं”।

EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : क्या यह मात्र एक पारंपरिक यात्रा रही?

EAM Jaishankar Meets President Jinping !!
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विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (EAM Jaishankar Meets President Jinping !!) ने सोमवार (14 जुलाई, 2025) को अपने चीनी समकक्ष वाग यी के साथ वार्ता के दौरान कहा कि भारत और चीन को तनाव कम करने समेत सीमा संबंधों मुद्दों के समाधान के लिए द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने में ‘अच्छी प्रगति’ पर काम करना चाहिए और ‘प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों एवं बाधाओ’ से बचना आवश्यक है।

जयशंकर ने प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों एवं बाधाओं का जिक्र इसलिए किया क्योंकि हाल ही में जिस तरह अमेरिका-चीन के बीच टैरीफ वॉर चला उससे चीन ने अपने “रेयर-अर्थ मेटल” को वैश्विक बाजार में बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे भारत के बाजार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसलिए इन रेयर-अर्थ मेटलों पर से प्रतिबंध हटाने की मांग भारत ने चीन से की जिसमें कहीं न कहीं रेयर अर्थ मेगनेट भी शामिल है।

साथ ही साथ ब्राजील व ऑस्ट्रेलिया समेत भारत भी इन दिनों अमेरिका की एक तरफा टैरीफ नीतियों से परेशान है ऐसे में सभी अमेरिका का विकल्प तलाश रहे हैं जो कि चीन के रूप में दिख रहा है। इन सब प्रयासों से कहीं ना कहीं अमेरिका पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि ऐसा नहीं है कि मात्र अमेरिका ही विश्व के पास बाजार के रूप में उपलब्ध है।

इसलिए जयशंकर (EAM Jaishankar Meets President Jinping !!) ने बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वाग यी से व्यापार और पर्यटन को लेकर भी अहम मद्दे उठाए। उन्होंने चीन द्वारा लगाए गए एक्सपोर्ट कंट्रोल और व्यापारिक प्रतिबंधों को लेकर चिंता जताई। जयशंकर ने साफ कहा कि चीन को ऐसे कदमों से बचना चाहिए कि भारत के उत्पादन क्षेत्र (मैंन्यूफक्चरिंग सेक्टर) को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने भारत और चीन के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने यात्रा को आसान बनाने, सीधी उड़ानों (डायरेक्ट फ्लाइट्स) को फिर से शुरू करने और सास्कृतिक आदान-प्रदान को बढावा देने की आवश्यकता बताई। उनका मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच आपसी समझ और भरोसा बढेगा।

EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : क्या होते हैं ‘रेयर-अर्थ मेगनेट’ ?

दुर्लभ-पृथ्वी चुंबक (rare-earth magnet), दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों के मिश्रधातुओं (alloys) से बना एक मजबूत स्थायी चुंबक (permanent magnet) होता है। वर्ष 1970 और 1980 के दशक में विकसित, रेयर-अर्थ मेगनेट, स्थायी चुंबकों का सबसे मजबूत प्रकार है, जो अन्य प्रकार के चुंबकों जैसे कि फेराइट (ferrite) या अल्निको (alnico) चुंबकों की तुलना में काफी मजबूत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।

इन चुम्बकों द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र आमतौर पर 1.2 टेस्ला से अधिक हो सकता है, जबकि फेराइट या सिरेमिक चुम्बक आमतौर पर 0.5 से 1 टेस्ला तक का क्षेत्र प्रदर्शित करते हैं।

ये दो प्रकार के होते हैं:

  1. नियोडिमियम चुम्बक (Neodymium Magnets)
  2. समैरियम-कोबाल्ट चुम्बक (Samarium-Cobalt Magnets)

दुर्लभ-पृथ्वी चुम्बक अत्यंत भंगुर होते हैं और जंग लगने के प्रति भी संवेदनशील होते हैं, इसलिए इन्हें टूटने, छिलने या चूर्ण में बदलने से बचाने के लिए आमतौर पर उन पर परत चढ़ाई जाती है या लेपित किया जाता है।

रेयर-अर्थ मेगनेट का उपयोग-

इसका उपयोग विभिन्न संवेदनशील क्षेत्रों में किया जाता है जैसे-

  1. इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles): रेयर-अर्थ मेगनेट EV मोटरों में महत्वपूर्ण घटक हैं, जो उच्च टॉर्क, ऊर्जा दक्षता और कॉम्पैक्ट डिजाइन को सक्षम करते हैं।
  2. पवन टर्बाइन (Wind Turbines): पवन टर्बाइनों में जनरेटर के लिए रेयर-अर्थ मेगनेट आवश्यक हैं, जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
  3. रक्षा अनुप्रयोग (Defense Applications): रेयर-अर्थ मेगनेट विभिन्न रक्षा प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें मिसाइल, रडार प्रणालियाँ और मार्गदर्शन प्रणालियाँ शामिल हैं।
  4. अन्य अनुप्रयोग (Other Applications): रेयर-अर्थ मेगनेट का उपयोग हार्ड डिस्क ड्राइव, स्पीकर, सेल फोन और औद्योगिक मोटरों में भी किया जाता है।

EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : क्या होते हैं ‘रेयर-अर्थ मेटल’ ?

EAM Jaishankar Meets President Jinping !!
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ये 17 धात्विक तत्वों का एक समूह हैं । इनमें आवर्त सारणी के 15 लैंथेनाइड, स्कैंडियम और यिट्रियम के अलावा, शामिल हैं, जो लैंथेनाइड के समान भौतिक और रासायनिक गुण प्रदर्शित करते हैं।

17 दुर्लभ पृथ्वी हैं-

सेरियम (Ce), डिस्प्रोसियम (Dy), अर्बियम (Er), युरोपियम (Eu), गैडोलीनियम (Gd), होल्मियम (Ho), लैंथेनम (La), ल्यूटेटियम (Lu), नियोडिमियम (Nd), प्रेसियोडिमियम (Pr), प्रोमेथियम (Pm), समैरियम (Sm), स्कैंडियम (Sc), टेरबियम (Tb), थ्यूलियम (Tm), येटरबियम (Yb), और येट्रियम (Y)।

इन खनिजों में अद्वितीय चुंबकीय, प्रकाशमान और विद्युत-रासायनिक गुण होते हैं और इसलिए इनका उपयोग कई आधुनिक प्रौद्योगिकियों में किया जाता है, जिनमें उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और नेटवर्क, संचार, स्वास्थ्य देखभाल, राष्ट्रीय रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियां आदि शामिल हैं।

EAM Jaishankar Meets President Jinping !! : चीन ने कैसे किया ‘रेयर-अर्थ मेटल’ पर एकाधिकार?

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चीन ने समय के साथ दुर्लभ मृदाओं के क्षेत्र में वैश्विक प्रभुत्व हासिल कर लिया है, यहां तक कि एक समय तो उसने विश्व की आवश्यकता का 90% दुर्लभ मृदा उत्पादित किया था।

हालाँकि, आज यह घटकर 60% रह गया है और शेष उत्पादन क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका) सहित अन्य देशों द्वारा किया जाता है।

वर्ष 2010 के बाद जब चीन ने जापान, अमेरिका और यूरोप को रेयर अर्थ्स शिपमेंट पर रोक लगा दी, तो एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में छोटी इकाइयों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया एवं अमेरिका में उत्पादन इकाइयाँ शुरू की गई हैं। फिर भी संसाधित रेयर अर्थ धातुओं का प्रमुख हिस्सा चीन के पास है।

पूरा विश्व जानता है कि चीन निरंतर अपनी क्षमताओं को विकसित करने पर जोर दे रहा है और एस इसी दिशा में एक क्षेत्र है ‘रेयर-अर्थ मेटल’। वर्ष 1995 के आस-पास चीन और अमेरिका का रेयर अर्थ प्रोडक्शन का अंतर लगभग बराबर था परंतु वर्ष 2024 में चीन ने दोनों के बीच के अंतर को छ गुना अधिक प्रोडक्शन करके बढ़ा लिया है। ग्लोबल REE एक्सपोर्ट में उसकी हिस्सेदारी 56.6 फीसदी से बढ़कर 63 फीसदी हो गई जिसके पीछे का कारण चीन के द्वारा पिछले लगभग 3 दशकों में चीन ने अपने इस क्षेत्र के प्रोडक्शन को नौ गुना बढ़ाया माना जा रहा है। इसी के साथ चीन ने अपने निर्यात पर भी बल दिया जिसमें अमेरिका, साउथ कोरिया और भारत जैसे देश शामिल हैं।  

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