Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : भारत-यूएस व्यापार वार्ता GM क्रॉप्स को लेकर अटकी ??

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Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : हाल ही में भारतीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने एक बयान में कहा कि “भारत “बिग ब्यूटीफुल बिल” अमेरिका के व्यापार समझौते के प्रति उत्सुक है, लेकिन कृषि और GM फसलों पर यह रेड लाइन खींचता है”। उन्होंने आगे कहा “हम कुछ ऐसा नहीं कर सकते जो हमारे कृषि, हमारे किसानों की स्थिति को कमजोर करे”।

जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत और अमेरिका के बीच होने वाली ट्रेड डील, कृषि उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते बीच में अटक गई है। इसके पीछे का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी माना जा रहा है कि ट्रेड डील के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग कर रहा है।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : जानें पूरा मामला…

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy
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हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में हुए ‘बिग ब्यटीफुल बिल‘ इवेंट में कहा था की भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक ‘बड़ी’ ट्रेड डील होने वाली है। ट्रम्प ने ये भी बताया था कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है।

ट्रम्प का कहना था कि उनकी टैरिफ नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। ऐसे में भारत और अमेरिका इस डील का पहला चरण जुलाई 2025 तक पूरा करना चाहते हैं।

जिसके बाद वित्तमंत्री सीतारामन ने यह बताया कि कृषि और डेयरी व्यापार वार्ताओं के संवेदनशील क्षेत्र हैं। इसलिए भारत (Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy) इन पर चर्चा करते समय बहुत सावधान है।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy
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आपको बता दें कि ट्रम्प ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के करीब 100 देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया था। इसमें भारत पर 26% टैरिफ लगा। फिर 9 अप्रैल को ट्रम्प प्रशासन ने इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया। ट्रम्प ने ये समय भारत जैसे देशों को डील पर फैसले लेने के लिए दिया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चाहता है कि ये प्रोडक्ट (मक्का और सोयाबीन) भारत में सस्ते बिकें। वहीं भारत सरकार किसानों को नुकसान से बचाने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं घटाना चाहती। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका के सस्ते GM फूड भारत में आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों की फसलें बिकना कठिन हो जाएगी।

ऐसे में डील पर असमंजस बना हुआ है। 9 जलाई की डेडलाइन से पहले इसका हल निकलना मुश्किल लग रहा है। जबकि ट्रम्प प्रशासन ने 9 जुलाई कि डेडलाइन को आगे बढ़ाने से मना कर दिया है।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : अमेरिका की क्या है मांग..?

अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों (मक्का, सोयाबीन) और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। लेकिन भारत के लिए ये दोनों सेगमेंट महत्वपूर्ण हैं। भारत के ज्यादातर किसान छोटी जोत वाले हैं। उनके लिए अमेरिकी किसानों का मुकाबला करना मुश्किल (agriculture red-line) होगा। भारत ने अभी तक जितने देशों के साथ व्यापार समझौते किए हैं उनमें किसी के लिए भी डेयरी सेक्टर (Indian dairy protection) को नहीं खोला है।

साथ ही, अमेरिका मेडिकल डिवाइसेज पर टैरीफ और डेटा लोकलाइजेशन नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों और व्हिस्की जैसे सामानों के लिए भी कम शुल्क की मांग कर रहा है।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : मांगों के जवाब में भारत की प्रतिक्रिया..

भारत ने अमेरिका की मांगों को मानने से इनकार कर दिया, खासकर कृषि और डेयरी बाजार खोलने की मांग को। भारत का कहना है कि इससे लाखों गरीब किसानों को नुकसान होगा। भारतीय उत्पाद, अमेरिकी उत्पादों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे। भारत ने कहा है कि अगर अमेरिका ने स्टील और ऑटोमोबाईल पर शुल्क लगाए, तो हम भी जवाबी शुल्क लगाएंगे।

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक पार्थो बनर्जी ने मंगलवार को संवाददाताओं से बताया कि अमेरिका, भारत के ऑटो पार्ट्स निर्यात के लिए सबसे बड़ा बाजार है, जो 31 मार्च, 2024 को समाप्त हुए वर्ष में 21.2 बिलियन डॉलर के उद्योग का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। स्थानीय यात्री वाहन बाजार सुस्त रहा है, जिसमें 31 मार्च 2026 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए केवल 2% की वृद्धि की उम्मीद है।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : क्या है GM फसलें..?

जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलें वह फसलें होती हैं जिन्हें जेनेटिक इंजिनियरिंग के माध्यम से किसी भी जीव या पौधों के जीन को दूसरे पौधों में डालकर विकसित किया जाता है। GM फसलें ज्यादातर कीट-प्रतिरोधी (pest-resistant) या जड़ी-बूटी सहिष्णु (Herbicide-tolerant) होती हैं।

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इसको हम इस तरह भी समझ सकते है कि बीजों के जीन्स में बदलाव करके उनमें मनचाही विशेषता पैदा करने हेतु प्राकृतिक बीजों को मोडिफाई कर नई फसल (GM फसल) की प्रजाति तैयार की जाती है।

इन्हें हाईब्रिड फसल भी कहा जाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि GM फसलों के उत्पादन में अन्य प्रजाति के जीन को आरोपित किया जाता है। जैसे BT-कपास को कपास के पौधे में विषैले कीड़े के जीन को जो़ड़कर बनाया गया है।

क्या भारत में अन्य GM फसले हैं?

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नहीं, सरकार ने (कपास को छोड़कर) अन्य GM फसलों की वाणिज्यिक खेती को मंजूरी नहीं दी है, हालांकि बैंगन (Brinjal) और सरसों (Mustard) के लिए प्रयास किए गए हैं।

भारत को पहला GM फसल कब मिला?

पहली GM फसल किस्म जिसे व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी वह Bt-कपास थी। बॉलगार्ड-I, जिसने गुलाबी बॉलवर्म के खिलाफ प्रतिरोधकता प्रदान की और जिसे मोंसेंटो (Monsanto) ने विकसित किया, को 2002 में मंजूरी दी गई। मोंसेंटो ने 2006 में बॉलगार्ड-II (Bollgard-Il) जारी किया। भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है, आंशिक रूप से Bt-कपास के कारण, जो देश की कुल कपास भूमि का 90% से अधिक हिस्सा बनाता है।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : GM फसलों को वैश्विक रूप में अपनाने का इतिहास…

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सर्वप्रथम GM फसलों को 1990 के मध्य में अमेरिका में पेश किया गया था और तब से इन्हें विश्वव्यापी रूप से अपनाया जाने लगा है।

वर्ष 2017 तक, GM फसलों ने 24 देशों में लगभग 189.8 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया, जबकि 43 अन्य देशों ने खाद्य, चारा या अन्य उपयोगों के लिए GM उत्पादों का आयात किया।

सामान्यतः उगाए जाने वाले GM फसलों में मक्का, सोयाबीन, कपास और कैनोला शामिल हैं। ये खाद्य फसलें विशेष रूप से कीट प्रतिरोध (insect resistance) और जड़ी-बूटी सहिष्णुता (herbicide tolerance) के लिए मॉडिफाइडकी गई हैं।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें कैसे बनाई जाती हैं…?

जेनेटिक मॉडिफाइडएक ऐसी तकनीक है जो किसी जीव के जीनोम में डीएनए डालने से संबंधित है। एक GM पौधा बनाने के लिए, नए डीएनए को पौधों की कोशिकाओं में स्थानांतरित किया जाता है। इन कोशिकाओं को तब टिशू कल्चर में उगाया जाता है जहाँ वे पौधों में परिवर्तित हो जाती हैं। इन पौधों द्वारा उत्पादित बीजों में नया डीएनए होगा।

इन पौधों को लगाने का सबसे सामान्य तरीका जीन गन्स विधि (gene guns method) का उपयोग करना है। अन्य आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीकें इलेक्ट्रोपोरेशन (electroporation), माइक्रोइंजेक्शन (microinjection) और एग्रोबैक्टीरियम (agrobacterium) हैं।

जेनेटिकली मॉडिफाइड के 3 मुख्य प्रकार हैं जो नीचे सूचीबद्ध हैं-

  1. ट्रांसजेनिक (Transgenic) पौधों में ऐसे जीन डाले जाते हैं जो अन्य प्रजातियों से निकाले जाते हैं।
  2. सिसजेनिक (Cisgenic) पौधे उसी प्रजाति या निकट संबंधी की जीन का उपयोग करके बनाए जाते हैं।
  3. सब-जनेरिक (Subgeneric) पौधे की आनुवंशिक संरचना को बिना किसी अन्य पौधों के जीन में शामिल किए बदलें।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों का उद्देश्य क्या है..?

जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों के विभिन्न उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. उच्च उपज (Higher yields)
  2. पोषण मूल्य में सुधार (Enhanced nutritional value)
  3. लंबी शेल्फ लाइफ (Longer shelf life)
  4. सूखे के प्रति प्रतिरोध बढ़ाना (Increase resistance to droughts)
  5. कीड़ों और कीटों के प्रति प्रतिरोध बढ़ाना (Increase resistance to insects)
  6. हर्बिसाइड्स के प्रति प्रतिरोध बढ़ाना (Increased resistance to herbicides)

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : GM उत्पादों के लाभ…

जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों से होने वाले विभिन्न लाभ निम्नलिखित हैं-

  • फसल उत्पादन में वृद्धि। (Increased crop yields)
  • खाद्य या औषधि उत्पादन के लिए लागत में कमी। (Reduced costs for food or drug production)
  • कीटनाशकों की आवश्यकता में कमी। (Reduced need for pesticides)
  • पोषक तत्वों की संरचना में सुधार। (Enhanced nutrient composition)
  • कीटों और बीमारियों के प्रति प्रतिरोध। (Resistance to pests and disease)
  • दुनिया की बढ़ती जनसंख्या के लिए बेहतर खाद्य सुरक्षा और चिकित्सा लाभ। (Greater food security and medical benefits to the world’s
    growing population)
  • दूध और मांस उत्पादन के लिए जानवरों की उपज बढ़ाना। (Increase the yield of animals for milk and meat production)
  • जानवरों में बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता को कम करना। (Decrease susceptibility to disease in animals)
  • पौधों को ऐसे परिस्थितियों में बढ़ने की अनुमति देना जहां वे अन्यथा फलित नहीं हो पाते। (Allowing plants to grow in conditions where they might not
    otherwise flourish)
  • शेल्फ जीवन में वृद्धि और इसलिए खाद्य पदार्थों के जल्दी खराब होने का डर कम होता है। (Increased shelf life and hence there is less fear of foods getting
    spoiled quickly)

शीर्ष GM फसलों की पैदावार करने वाले देशों में अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, भारत और कनाडा शामिल हैं, जो एक साथ मिलकर वैश्विक GM फसल कृषि क्षेत्र का 90% हिस्सा बनाते हैं।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : GM फसलों से उत्पन्न समस्याएं…

  • स्वास्थ्य (Health) : इनका मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। यह माना जाता है कि इन आनुवांशिक रूप से परिवर्तित खाद्य पदार्थों का सेवन ऐसे रोगों के विकास का कारण बन सकता है जो एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरक्षित होते हैं।
  • पारिस्थितिकी संतुलन (Ecological Balance) : GM फसलों की क्षमता जंगली जनसंख्या में इंजीनियर्ड जीनों को असंतुलित कर सकने की है, जिससे नाजुक पारिस्थितिकी संतुलन भंग हो सकता है। अन्य पौधों की विविधता में कमी सहित जैव विविधता का नुकसान।
  • पर्यावरण (Environment) : यह GM विधि अन्य जीवों को नुकसान पहुंचा सकती है जो पर्यावरण में फल-फूल रहे हैं और पारिस्थितिकी असंतुलन पैदा कर सकती है। “मदर नेचर के साथ छेड़छाड़” का संबंधित जोखिम है।
  • स्थायीता का जोखिम (Danger of Permanence) : आनुवंशिक परिवर्तन समय के साथ स्थायी और अपरिवर्तनीय हो जाएंगे और अवांछनीय और अप्रबंधित उत्परिवर्तन (mutations) हो सकते हैं।

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy : भारत की अमेरिकी GM फसलों के प्रति चिंता…

Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy
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अमेरिका भारत से अनुरोध कर रहा है कि वह अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों पर कर घटाए और भारतीय बाजार में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों की बिक्री की अनुमति दे। लेकिन भारत (Ind-US Trade Talk Crucial Stage On Agri & Dairy) ने इन अनुरोधों को मजबूती से नकारा है। अधिकारियों के अनुसार, ऐसा करने के पीछे के कारण खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है, सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है और साथ ही इस प्रकार लाखों भारतीय किसानों को नुकसान भी पहुंचा सकता है।

साथ ही भारत का मानना है कि ये क्षेत्र राजनीतिक और आर्थिक रूप से संवेदनशील हैं।

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